नई दिल्ली शायद सुनकर थोड़ा अजीब लगे लेकिन यह सच है कि कृत्रिम कॉर्निया से अंधापन दूर किया जा सकता है। यह छह में से पांच लेयर को फिर से जीवित कर रोगी के आंखों की रोशनी ला सकता है। इसके लिए कॉर्निया दान का इंतजार भी नहीं करना पड़ेगा। छह वर्षों से नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) अध्ययन में जुटा था जिसके अब सफल परिणाम मिलने लगे हैं। डॉक्टरों के अनुसार जिन लोगों में इस कॉर्निया का इस्तेमाल किया गया है सभी मरीज संतुष्ट हैं।

जानकारी के अनुसार एम्स के डॉक्टरों ने अलग अलग इंजीनियर की मदद से तैयार एक ऐसे कॉर्निया के प्रत्यारोपण पर साल 2016 में काम शुरू किया जिसे बायोइंजीनियर्ड कॉर्निया भी कहा जाता है। साल 2016 से 2018 के बीच एम्स ने 10 मरीजों में इसका प्रत्यारोपण किया। जबकि बीते वर्ष 2021 में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान भी डॉक्टरों ने 17 लोगों में इस कॉर्निया के जरिये उनकी रोशनी वापस लौटाई है।

एम्स की नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. नम्रता शर्मा ने बताया कि देश में कॉर्निया प्रत्यारोपण को लेकर लंबी वेटिंग लिस्ट है। करीब दो लाख से अधिक लोग अंधापन के शिकार हैं जिनके जीवन में रोशनी वापस लौटाई जा सकती है लेकिन इस मांग की तुलना में नेत्रदान नहीं हो पाता है। बीते दो वर्षों में नेत्रदान पर काफी असर भी पड़ा है। ऐसे में यह बायोइंजीनियर्ड कॉर्निया मरीजों के लिए नई उम्मीद बना है।

उन्होंने बताया कि अभी तक हम अध्ययन की स्थिति में थे। इसलिए बहुत अधिक जानकारी नहीं मिली थी लेकिन लंबे समय तक फॉलोअप और मरीजों की जांच इत्यादि करने के बाद अब यह वैज्ञानिक तौर पर साबित हो चुका है। अभी देश में बायोइंजीनियर्ड कॉर्निया व्यावसायिक तौर पर उपलब्ध नहीं है लेकिन जल्द ही यह बाजार में उपलब्ध हो सकता है। फिलहाल एम्स के पास प्रोजेक्ट के तौर पर यह उपलब्ध है।

डॉक्टरों के अनुसार एक कॉर्निया में छह लेयर होती हैं जिनमें से पांच लेयर को कृत्रिम कॉर्निया के जरिए कवर किया जा सकता है और प्रत्यारोपण के बाद उक्त रोगी में रोशनी वापस भी आ सकती है लेकिन जिनकी सभी लेयर प्रभावित हैं उनमें अभी इसकी सफलता को लेकर जांच चल रही है क्योंकि छठीं लेयर पीछे वाली झिल्ली से जुड़ी है जहां यह फिलहाल कार्य नहीं कर पा रहा है।
साल 2016 से अब तक 27 रोगियों में लगा कृत्रिम कॉर्निया
सभी ने प्रत्यारोपण के बाद रोशनी वापस आने और दृष्टि स्पष्ट होने की जानकारी दी
एक भी कॉर्निया रिजेक्शन के चलते नहीं हुआ खराब