नई दिल्ली. किसी से दोस्ती करते वक्त हमेशा सतर्क रहना चाहिए. इस दुनिया में कई लोग मुखौटा पहने घूम रहे हैं, वो आपके सामने कुछ और होते हैं लेकिन उनकी असलीयत आपके कोसों दूर होती है. चाणक्य ने भी मित्रों का चयन करते वक्त सावधानी रखने की बात कही है. आचार्य चाणक्य ने व्यक्ति की सांप से तुलना की है. चाणक्य के अनुसार ऐसे लोगों से जल्द दूरी बना लें नहीं तो आपको हानि पहुंच सकती है.

चाणक्य ने इस श्लोक में एक सांप को दुर्जन व्यक्ति से ज्यादा बेहतर बताया है. आमतौर पर सांप तभी डंक मारता है जब उसे परेशान किया जाए या फिर खतरा आने पर लेकिन दुष्ट व्यक्ति विष के समान जहरीले होते हैं. मुंह पर कुछ और पीठ पीछे कुछ और ही होते हैं. ऐसे इंसान ईर्ष्या के परिपूर्ण होते हैं, हर समय मौके की तलाश में रहते हैं और अवसर मिलते ही ये आप पर वार कर सकते हैं. ऐसे लोगों का तुरंत साथ छोड़ देना चाहिए.

आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक में जहरीले जानवरों की तुलना दुष्ट व्यक्ति से की है. चाणक्य कहते हैं धूर्त व्यक्ति और जहरीले जीव में बस इतना ही फर्क है कि सांप अपने दांत से जहर छोड़ता है, मक्खी का विष उसके सिर में होता है, बिच्छू की पूंछ में जहर होता है लेकिन एक दुष्ट व्यक्ति का पूरा शरीर और मन विषैला होता है. ऐसे लोगों की संगित जीवन को बर्बाद कर देती है. ऐसे लोग किसी के सगे नहीं होते. ये अपने फायदे के लिए आपको भी मुसीबत में डाल सकते हैं.