अफ़ग़ानिस्तान! तालिबान ने 15 अगस्त 2021 को काबुल पर नियंत्रण करके अपने हिंसक अभियान का लक्ष्य तो हासिल कर लिया सत्ता और ताक़त के बंटवारे को लेकर चल रही अंदरूनी खींचतान और गहराते आर्थिक संकट से ये स्पष्ट है कि तालिबान का हनीमून ख़त्म हो गया है.

कंधार में तालिबान के नेतृत्व के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि मज़बूत हुए हक़्क़ानी नेटवर्क और उसके समर्थक विदेशी लड़ाकों से कैसे निबटा जाए. काबुल समेत आधा पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान हक़्क़ानी नेटवर्क और उसके सहयोगी समूहों के ही नियंत्रण में है.

तालिबान के नेता मुल्ला हिब्तुल्लाह अखुंदज़ादा लंबे समय से नदारद हैं. इससे समूह की समस्याएं और भी बढ़ गई हैं. ये सवाल भी उठ रहा है कि वो ज़िंदा भी हैं या नहीं. इससे तालिबान को लेकर अंदरूनी संघर्ष का ख़तरा भी पैदा हो गया है.

इन्हीं चुनौतियों की वजह से ऐसा लग रहा है कि तालिबान की प्राथमिकता इस समय संगठन की एकजुटता को बनाए रखना है और इसी वजह से समावेशी सरकार को लेकर ज़ाहिर की गई घरेलू और अंतरराष्ट्रीय चिंताओं को तालिबान ने नज़रअंदाज़ किया है.

तालिबान ने जो अंतरिम सरकार घोषित की है उसमें अधिकतर मंत्री पुराने हैं और ग़ैर पश्तून समुदायों को अधिक हिस्सेदारी नहीं दी गई है.