नई दिल्ली. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने Budget 2022 में टैक्सपेयर्स को भले ही कोई सीधी छूट न दी हो, लेकिन पहले से जारी आयकर छूट का फायदा उठाकर भी आप Income Tax में बड़ी बचत कर सकते हैं.
दरअसल, Income Tax कानून के तहत जीवन बीमा पॉलिसी खरीदने, होम लोन के ब्याज और मूलधन, निवेश, एफडी या ऐसे ही दर्जनों विकल्पों के जरिये आपको टैक्स छूट का लाभ मिलता है. इनकी मदद से 7.5 लाख रुपये तक की आमदनी वाला व्यक्ति अपनी टैक्स देनदारी को जीरो कर सकता है, जबकि 10 लाख और 15 लाख रुपये महीने कमाने वाला भी टैक्स की बड़ी बचत कर सकता है. हम बता रहे हैं कि आप अपनी आमदनी कैसे टैक्स बचाएं.
7.5 लाख सालाना इनकम तो टैक्स हो जाएगा जीरो (20 फीसदी टैक्स स्लैब)
-80सी के तहत 1.5 लाख की छूट.
-80डी में मेडिक्लेम पर 25 हजार की छूट.
-होम लोन के ब्याज पर 24बी में 2 लाख की छूट.
-एनपीएस पर 50 हजार रुपये की छूट
-स्टैंडर्ड डिडक्शन में भी 50 हजार की छूट.
(इस तरह नेट टैक्सेबल इनकम 2.75 हजार रुपये हो जाएगी, जो 5 लाख से नीचे है और 87ए के तहत टैक्स देनदारी जीरो हो जााएगी )
10 लाख सालाना आय पर कितना देना होगा टैक्स (20 फीसदी टैक्स स्लैब)
-80सी के तहत 1.5 लाख की छूट.
-80डी में मेडिक्लेम पर 25 हजार की छूट.
-होम लोन के ब्याज पर 24बी में 2 लाख की छूट.
-एनपीएस पर 50 हजार रुपये की छूट
-स्टैंडर्ड डिडक्शन में भी 50 हजार की छूट.
(यहां आपकी नेट टैक्सेबल इनकम 5.25 लाख रुपये, जिस पर 20 फीसदी टैक्स लगेगा. 17,500 रुपये की टैक्स देनदारी पर 4 फीसदी यानी 700 रुपये सेस लगेगा और कुल 18,200 रुपये टैक्स देने होंगे)
15 लाख की आमदनी पर ऐसे बचाएं टैक्स (30 फीसदी टैक्स स्लैब)
-स्टैंडर्ड डिडक्शन में भी 50 हजार की छूट.
-80सी के तहत 1.5 लाख की छूट.
-80डी में मेडिक्लेम पर 25 हजार की छूट.
-होम लोन के ब्याज पर 24बी में 2 लाख की छूट.
-एनपीएस पर 50 हजार रुपये की छूट
(यहां आपकी कुल टैक्सेबल इनकम 10.25 लाख रुपये होगी. इस पर 30 फीसदी दर से 1.20 लाख टैक्स बनेगा जिस पर 4 फीसदी यानी 4,800 रुपये सेस देना होगा. कुल टैक्स देनदारी 1,24,800 रुपये होगी. )
Income Tax के नए स्लैब में कोई छूट नहीं
सरकार ने Income Tax के नए स्लैब में सभी 70 तरह की रियायतें खत्म कर दी हैं. हालांकि, इसमें टैक्स रेट घटा दिया गया है. बावजूद इसके कम आमदनी वाले करदाताओं को इससे कोई लाभ नहीं मिलता है. यही कारण है कि बीते वित्तवर्ष में महज 5 फीसदी टैक्सपेयर्स ने ही नया स्लैब अपनाया था.