आगरा। मेरा लाल (अरुण) बेकसूर था। उसे पुलिसकर्मी फंसा रहे थे। उसने चोरी नहीं की थी। थाने में कोई अकेला बेटा चोरी कैसे कर सकता है, जबकि थाने में फोर्स रहती है। यह चोरी पुलिसवालों ने करवाई है। बेटा नाम जानता था। वो उनके नाम बताता। इसलिए बेटे की हत्या कर दी गई। अब मेरे बेटे को कौन लाएगा। मुझे बस कुछ नहीं, न्याय चाहिए। यह आरोप लगाते हुए अरुण की 70 वर्षीय मां कमला देवी बेहोश हो जाती हैं। उन्हें परिवार के लोग अस्पताल में भर्ती कराने ले जाते हैं। थाने के मालखाने में चोरी के मामले पुलिस ने अरुण से पहले परिवार के लोगों को पकड़ा था। उनसे पूछताछ की गई थी। पोस्टमार्टम हाउस पर पहुंची मां कमला देवी ने बताया कि पुलिस उन्हें भी थाने ले गई थी। उनसे बेटे के बारे में पूछा था। मगर, उन्हें कुछ भी नहीं पता था। बेटे ने चोरी नहीं की थी। आरोप लगाया कि उसे पुलिस फंसा रही थी। चोरी पुलिसवालों ने की थी। बेटे को कोई बीमारी नहीं थी। उसे इतना पीटा की जान ही निकल गई। पुलिस ने तीन बच्चों के सिर से पिता का साया छीन लिया। अब उनकी देखभाल कैसे होगी। उन्हें कौन संभालेगा।

अरुण की पत्नी सोनम भी बेसुध हो गई। उसे परिवार के लोग संभाल रहे थे। वह रोते हुए कह रही थीं कि पुलिस ने हिरासत में लेने में किसी को नहीं छोड़ा। पति को उठाकर ले गई। पुलिस बार-बार पैसे लेकर आने का दबाव बना रही थी। बार-बार यही कह रही थी कि मकान बेचो या जेवर पूरी रकम चाहिए। हमें 25 लाख रुपये की रिकवरी दिखानी है। अगर, ऐसा नहीं करोगे तो पूरा परिवार जेल में सड़ जाएगा। इससे परिवार में दहशत में आ गया था। पति की पीट-पीटकर हत्या कर दी। 

पुलिस के सामने कोठी मीना बाजार स्थित सीओ लोहामंडी के कार्यालय में अरुण के तीनों भाई बंटी, रिंकू और सोनू को बुलाया था। यहां पर तीनों से पुलिस अधिकारियों ने बात की। इसके बाद तीनों भाई की हालत घर में बिगड़ने की बात करने लगे। हालांकि एक भाई के यह कहने पर कि पुलिस ने पिटाई नहीं की है इस पर दूसरे भाई ने मना किया।

भाई सोनू ने बताया कि अरुण पांच भाइयों में सबसे छोटा था। पिता संपत लाल की वर्ष 2003, जबकि बड़े भाई संजय की सात साल पहले मौत हो गई थी। सोनू नगर निगम में काम करता है, जबकि रिंकू एक अस्पताल में कर्मचारी है। अरुण के तीन बच्चे हैं। इनमें चार साल का बेटा शिवा, दो साल की बेटी छवि और एक महीने की बेटी राधा है। उसकी पत्नी सोनम है।

आगरा में थाना जगदीशपुरा के मालखाने में 25 लाख की चोरी के आरोपी अरुण का शव करीब 40 मिनट तक एंबुलेंस में ही रखा रहा। बाहर लोगों की भारी भीड़ जमा थी, ऐेसे में शव ले जाते वक्त कोई बवाल न हो, इसके लिए पुलिस अधिकारी माहौल भांपते रहे। आलाधिकारियों ने मृतक के परिजन और समाज के नेताओं से बात करने के बाद शव को एंबुलेंस में भेजा। शव का पोस्टमार्टम करीब ढाई बजे हो गया था। शव को सील करते हुए पीछे के गेट पर खड़ी एंबुलेंस में रखा गया। बाहर लोगों की भीड़ थी, कई दलों के नेता भी डटे हुए थे। ऐसे में माहौल बिगड़ने की आशंका थी। इस पर पुलिस के आलाधिकारियों ने मृतक के परिजन और वाल्मीकि समाज के जिम्मेदार लोगों से अधिकारियों ने पोस्टमार्टम हाउस के अंदर ले जाकर बातचीत की। इसके बाद करीब 50 पुलिस के जवानों ने एंबुलेंस को घेरकर सवा 3:10 बजे रवाना किया। एसएन इमरजेंसी तक पुलिस के जवान साथ रहे, इसके बाद अधिकारियों निगरानी में शव मृतक के लोहामंडी स्थित आवास लेकर पहुंचे।

मालखाने में चोरी के आरोपी अरुण के शव का तीन डॉक्टरों के पैनल ने पोस्टमार्टम किया। इसकी वीडियोग्राफी भी की गई। रिपोर्ट और वीडियोग्राफी का रिकार्ड डीएम और एसएसपी को सौंपा गया है। डीएम और एसएसपी पोस्टमार्टम हाउस पर करीब 13:50 मिनट पर पहुंचे। यहां उन्होंने मृतक के परिजनों को बताया कि तीन डॉक्टरों की टीम से पोस्टमार्टम कराया जा रहा है। ढाई बजे तक तीन डॉक्टरों ने शव का पोस्टमार्टम किया और इसकी रिपोर्ट तैयार की। इस दौरान वीडियोग्राफी भी की गई है। 

मृतक अरुण की मां कमला देवी समेत अन्य परिजन तड़के से ही पोस्टमार्टम पर डटे हुए थे। इनका रो-रोकर बुरा हाल था। करीब डेढ़ बजे कमला देवी की हालत बिगड़ गई। वह बेहोश होकर गिर गईं। इस पर परिजन इनको आठ मंजिला इमारत लेकर गए। यहां बच्चों का वार्ड और सर्जरी विभाग होने के कारण इनको इमरजेंसी लेकर जाने को कहा। यहां उनकी हालत सामान्य होने तक भर्ती रखा गया।
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