श्रीनगर: कश्मीर के उन आतंकवादियों के बारे में जानिए, जो पाकिस्तान से नहीं, बल्कि भारत से प्यार करते हैं. और आतंकवादियों के बीच रहते हुए उन्होंने कश्मीर की रक्षा करने का काम किया है. कश्मीर के लिए 1990 का दशक एक ऐसे भयानक दौर की तरह था, जब वहां आतंकवाद चरम पर था.

उस समय कश्मीर के कई युवाओं ने आतंकवादी बनने के लिए पाकिस्तान जाकर ट्रेनिंग ली. हालांकि पाकिस्तान जाकर उन्हें समझ आया कि जिस रास्ते पर वो चल रहे हैं वो रास्ता बर्बादी की तरफ जाता है. और इसी वजह से उन्होंने आतंक का रास्ता छोड़कर आतंकवादियों के खिलाफ भारतीय सेना का साथ देने का फैसला किया. इन्हीं लोगों को तब इख्वान कहा गया.

इख्वान का मतलब होता है भाई-बंधु. इख्वानियों को आतंकवादियों की हर चाल का पता होता था. वो स्थानीय भाषा तो जानते ही थे. साथ ही वो कश्मीर के लोगों के नजरिए से भी अच्छी तरह से वाकिफ थे. उनकी इसी ताकत ने तब कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारतीय सेना की मदद की.

इसके बाद इनकी वीरता, सूझबूझ और देश के प्रति इनकी वफादारी को देखते हुए वर्ष 2003 में इनकी विशेष बटालियन का गठन किया गया. भारतीय सेना इस बटालियन को खास ट्रेनिंग देती है. और आज हमने इसी बटालियन के साथ आपके लिए एक स्पेशल रिपोर्ट तैयार की है. और ये एक ऐसी रिपोर्ट है, जिसके बारे में आपको किताबों में पढ़ने के लिए नहीं मिलेगा.