नई दिल्ली. विराट कोहली ने टेस्ट टीम की कप्तानी अचानक छोड़कर बीसीसीआई को मुश्किल में डाल दिया है. बोर्ड अब दोराहे पर फंस गया लगता है. एक रास्ता अनुभवी रोहित शर्मा और अजिंक्य रहाणे की ओर जाता है, जो उम्रदराज हो चले हैं. रोहित की फिटनेस हमेशा सवालों में रहती हैं, तो रहाणे की फॉर्म. दूसरा रास्ता युवा केएल राहुल, ऋषभ पंत, जसप्रीत बुमराह की ओर जाता है, जिन्हें ना चुनने के भी उतने ही तर्क हैं, जितने चुनने के. ऐसे में संभव है बोर्ड अपने उस पुराने रास्ते पर चलना पसंद करे, जिस पर 2007 में चल चुका है. यह रास्ता केयरटेकर कैप्टन चुनने का है.

विराट कोहली के अचानक कप्तानी छोड़ने से भारतीय टीम के सामने 2007 की स्थितियां पैदा हो गई हैं. तब राहुल द्रविड़ ने इंग्लैंड से टेस्ट सीरीज जीतने के बाद अचानक कप्तानी छोड़ दी थी. जब द्रविड़ ने कप्तानी छोड़ी, तो अगले कप्तान के तौर पर कई नाम सामने आए. वीरेंद्र सहवाग, युवराज सिंह, जहीर खान, हरभजन सिंह जैसे खिलाड़ी टीम के नियमित सदस्य थे और अनुभवी भी. लेकिन बोर्ड ने इनमें से किसी को कप्तान नहीं चुना. उसने पहले एमएस धोनी को टी20 और वनडे टीम के लिए कप्तान बनाकर सबको चौंकाया. फिर स्प्लिट कैप्टेंसी की ओर आगे बढ़कर अनिल कुंबले को टेस्ट टीम का कप्तान बना दिया.

कुंबले सिर्फ 11 महीने कप्तान रहे क्योंकि…
यह पहला मौका था जब बीसीसीआई ने अलग-अलग फॉर्मेट के कप्तान चुने. अनिल कुंबले को जब कप्तान बनाया गया तब वे 37 बरस के हो चुके थे. सबको पता था कि यह शॉर्टटर्म फैसला था, जो मास्टरक्लास साबित हुआ. एमएस धोनी को उम्मीद के मुताबिक अनिल कुंबले का नायब बनाया गया. कुंबले 11 महीने कप्तान रहे और 14 टेस्ट मैचों में कप्तानी की. इसके बाद उन्होंने संन्यास ले लिया और धोनी को टेस्ट टीम की कमान भी मिल गई.

रोहित का कार्यकाल नहीं होगा लंबा
भारतीय क्रिकेट टीम 14 साल बाद एक बार फिर 2007 की स्थिति में दिख रही है. इस समय टेस्ट टीम की कप्तानी के दो स्वाभाविक दावेदार रोहित शर्मा और अजिंक्य रहाणे हैं. रोहित 35 साल के होने वाले हैं और हर साल फिटनेस की वजह से किसी ना किसी सीरीज से बाहर रहे हैं. लेकिन रहाणे के खिलाफ उनका पलड़ा ही भारी है. इसकी वजह यह भी है कि वे वनडे और टी20 टीम के कप्तान हैं. अजिंक्य रहाणे तकरीबन 34 साल के हैं और प्लेइंग XI में जगह बनाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

KL का दावा मजबूत लेकिन उभर सकते हैं मतभेद
केएल राहुल ऋषभ पंत और जसप्रीत बुमराह भी कप्तानी के दावेदार हैं. इसकी वजह इन तीनों का लगातार बेहतर खेल और कम उम्र है. इन तीनों में केएल का कप्तान का दावा सबसे मजबूत है. इसकी वजह यह भी है कि वे वनडे और टी20 टीम में रोहित शर्मा के नायब हैं यानी उप कप्तान हैं. उन्होंने हाल ही में विराट के अनफिट होने पर टेस्ट मैच में कप्तानी की भी है. लेकिन यह व्यवाहरिक नहीं लगता कि टेस्ट मैच में वह खिलाड़ी कप्तान बनाया जाए, जो वनडे टीम का उप कप्तान है. इससे टीम में मतभेद उभर सकते हैं. ऋषभ पंत लंबी रेस के खिलाड़ी हैं, लेकिन कई बार उनमें अपरिपक्वता नजर आती है. बुमराह बेहतर विकल्प हो सकते हैं, लेकिन वे टीम इंडिया के नंबर-1 गेंदबाज हैं. तीनों फॉर्मेट में खेलते हैं. अगले 20 महीने में दो विश्व कप हैं. ऐसे में बुमराह को भारत में होने वाले टेस्ट मैचों में रेस्ट दिया जा सकता है, ताकि वे तरोताजा रहें. इसी कारण वे कप्तान बनाए जाने की संभावना कम है.

रोहित के नायब हो सकते हैं केएल या पंत
सबसे बड़ी संभावना यही है कि रोहित शर्मा को टेस्ट टीम का भी कप्तान भी बना दिया जाए और केएल या पंत को उप कप्तान बनाकर उन्हें अनुभव दिलाया जाए. वैसे तो ये दोनों ही आईपीएल में कप्तानी करते रहे हैं, लेकिन टेस्ट मैचों की बात अलग है. ऐसे में एक सवाल मन में उठ सकता है कि जब रोहित कप्तान बनने के सबसे तगड़े दावेदार हैं और अगर उन्हें ही यह जिम्मेदारी दी जाए तो फिर वे केयरटेकर कैप्टन कैसे कहे जा सकते हैं.

रोहित को केयरटेकर कप्तान कहने की ठोस वजह
अगर आपके मन में भी यही सवाल आया है तो इसका जवाब साफ है. नया कप्तान चुनते वक्त हमेशा एक बात देखी जाती है कि होने वाले कप्तान का करियर कितने साल का बचा है. अगर वह 4-5 साल से कम लगता है तो फिर उस पर दांव तब तक नहीं लगाया जाता, जब तक कोई मजबूरी ना हो. साढ़े 34 साल के रोहित के बारे में यह भरोसे से कहा जा सकता है कि वे अगले 5 साल तक टेस्ट क्रिकेट खेलने से रहे. अगर वे कप्तान बने भी तो तकरीबन 2-3 साल के लिए ही बनेंगे. जाहिर है इतने कम वक्त में वे टीम को अपनी तरफ से शायद ही कोई विजन दे पाएं जैसा कि सौरव गांगुली, धोनी या कोहली ने दिया. चूंकि बोर्ड ने विराट का नायब ना तैयार करने की गलती कर दी है. इसलिए उसे मजबूरी में साढ़े 34 साल के खिलाड़ी को कप्तान बनाना पड़ेगा.

वनडे की कप्तानी के लिए 4 साल पहले से तैयार थे रोहित
रोहित को वनडे टीम की कप्तानी भी कुछ समय पहले ही मिली है. लेकिन उन्हें वनडे टीम का केयरटेकर कप्तान तो नहीं कहा गया. इसकी भी वजह साफ है. बीसीसीआई से लेकर हर क्रिकेटप्रेमी को पता है कि रोहित 2023 में होने वाले वनडे विश्व कप को ध्यान में रखकर कप्तान बनाए गए हैं. टीम इंडिया विश्व कप जीते या ना जीते, रोहित की कप्तानी उसके आगे नहीं बढ़ने वाली है. यहां बोर्ड का विजन एकदम साफ है. सबको पता है कि 2018 से ही रोहित को वनडे के कप्तान के तौर पर तैयार किया जा रहा था.

रोहित तब तक कप्तान, जब तक दूसरा ना मिले…
लेकिन टेस्ट क्रिकेट में ऐसा कोई लक्ष्य नहीं है. ना ही पहले कभी ऐसी तैयारी दिखी कि रोहित अगले टेस्ट कैप्टन हो सकते हैं. रहाणे को जरूर लगातार उप कप्तान बनाया गया और संकेत यही थे कि वे जरूरत पड़ने पर विराट की जगह टेस्ट टीम के कप्तान हो सकते हैं, लेकिन अब हालात बदल गए हैं. कहने को तो अगले साल वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप भी होनी है, लेकिन वह किसी भी टीम की पहली प्राथमिकता नहीं है. हर टीम की पहली प्राथमिकता तत्कालीन सीरीज होती है और टेस्ट चैंपियनशिप दूसरी. स्पष्ट है कि रोहित को अगर टेस्ट टीम का कप्तान बनाया जाएगा, तो सिर्फ तब तक के लिए, जब तक कि बोर्ड को लंबी रेस का युवा कप्तान नहीं मिल जाता.