मेरठ। नौचंदी क्षेत्र में राजकीय बाल गृह के बाथरूम में बुधवार देर रात 16 वर्षीय दिल्ली के शाहदरा निवासी किशोर अक्षित जैन का शव चादर के फंदे से लटका मिला। मौके पर पहुंची पुलिस और फोरेंसिक टीम ने जांच के बाद शव मोर्चरी भेज दिया। किशोर के पिता महावीर जैन की पांच वर्ष पूर्व मौत हो चुकी है। मां नीता जैन बागपत के वृद्धाश्रम में रहती हैं। बुधवार को वह मां से मिलने बागपत गया था। तीर्थयात्रा पर मध्य प्रदेश जाने के कारण मां से मुलाकात नहीं हो सकी। इससे किशोर परेशान था।
दिल्ली के शाहदरा में पूर्वी आजाद नगर निवासी अक्षित को कोई अभिभावक न होने के कारण बीते वर्ष 22 अगस्त को राजकीय बाल गृह में लाया गया था। वह एनएएस इंटर कॉलेज में कक्षा-11 में पढ़ रहा था। बुधवार को वह मां से मिलने होमगार्ड नफीस अहमद के साथ बागपत के वृद्धाश्रम गया था। वहां जाकर पता चला कि मां मध्य प्रदेश तीर्थयात्रा पर गई हुई है। निराश होकर किशोर लौट आया। बुधवार देर रात करीब दो बजे राजकीय बाल गृह के अन्य बच्चों ने बाथरूम की जाली में चादर के फंदे से उसका शव लटका देखा और इसकी जानकारी स्टाफ को दी।
इसके बाद नौचंदी थाना पुलिस को बुलाया गया। एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने बताया कि प्रारंभिक जांच में मामला खुदकुशी का लग रहा है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण स्पष्ट होगा। सीसीटीवी कैमरों की फुटेज भी चेक की जा रही है। जानकारी मिली है कि किशोर अपनी मां से मुलाकात न होने के कारण परेशान था।
राजकीय बाल गृह से स्टाफ के मुताबिक अक्षित का व्यवहार काफी अच्छा था। वह अपनी पढ़ाई को लेकर भी काफी गंभीर था और रोजाना स्कूल जाता था। वह ऐसा आत्मघाती कदम उठा सकता है, इस पर किसी को विश्वास नहीं हो रहा था। साथ में रहने वाले अन्य बच्चे भी उसकी मौत को लेकर काफी दुखी थे।
राजकीय बाल गृह के स्टाफ ने बागपत के वृद्धाश्रम में फोन कर किशोर की मौत की जानकारी दी। वहां से किशोर की मां को फोन किया गया। फोन पर महिला ने कहा कि वह तीर्थयात्रा पर मध्य प्रदेश आई हुई है। बेटे की मौत की जानकारी मिलने पर वह वापस लौट रही है, लेकिन बागपत पहुंचने में दो दिन लग जाएंगे। वह बेटे का अंतिम संस्कार नहीं कर पाएगी। बेटे से पांच माह पहले आखिरी बार मुलाकात हुई थी। तीन माह पहले फोन पर बात हुई थी। तब बेटे ने कहा था कि वह दिवाली पर मिलने आएगा। बुधवार को वह अचानक मुझसे मिलने वृद्धाश्रम पहुंच गया। आखिरी वक्त भी बेटे का चेहरा नहीं देख पाऊंगी, मुझ जैसा अभागा कोई नहीं हो सकता।
मां ने फोन पर बताया कि पांच वर्ष पूर्व पति की मौत होने पर परिवार बिखर गया। बेटा ही मेरा आखिरी सहारा था। इकलौता सहारा भी छिन गया। मुझसे अलग रहने से वह काफी दुखी था। वह कहता था कि दो वर्ष बाद में मैं बालिग हो जाऊंगा। इसके बाद नौकरी करूंगा और तुम्हें भी अपने साथ रखूंगा।