मेरठ। मेरठ में लंबे समय से बंद ऐतिहासिक घंटाघर की घड़ी एक बार फिर टिक-टिक करेगी। नगर निगम ने इसे चालू करवाने के लिए दिल्ली की एक एजेंसी से संपर्क किया है। एजेंसी के तकनीशियन मंगलवार को मेरठ आएंगे। घंटाघर की बंद घड़ी का परीक्षण करेंगे। घंटाघर शहर की ऐतिहासिक इमारत है।
आजादी के आंदोलनों की बैठकों का गवाह रहा है। ब्रिटिश हुकूमत में 1913 में घंटाघर का निर्माण हुआ था। इंग्लैंड की वेस्टन एंड वाच कंपनी की घड़ी 1914 में लगाई गई थी। कहा जाता है कि उस दौर में घंटाघर की घड़ी के पेंडुलम की आवाज दस किमी की परिधि तक पहुंचती थी क्योंकि उस समय आज जैसा शोरगुल नहीं था। इसी पेंडुलम की आवाज से लोग अपना काम करते थे। यही समय जानने का आधार था। वर्तमान में यह घड़ी बंद पड़ी है। समय के साथ घंटाघर पर भी धूल की परतें जम गई हैं। अब नगर निगम ने राज्य स्मार्ट सिटी मिशन के तहत घंटाघर को संवारने की कार्ययोजना तैयार की है।
घंटाघर की घड़ी को ठीक करवाने के साथ नगर निगम इसे फसाड लाइटिंग से आकर्षक बनाएगा। एक केंद्र बिंदु से घंटाघर पर रंग-बिरंगी लाइट पड़ेगी। जिससे घंटाघर की छटा कभी सतरंगी तो कभी अलग-अलग रंगों की नजर आएगी।