भोपाल। स्कूल वाहनों पर आरटीओ द्वारा की जा रही कार्रवाई औपचारिकता साबित हो रही है। असल में हर दिन स्कूल आवागमन के दौरान हजारों बच्चों की जान जोखिम में रहती है। शनिवार को जिले में बड़ा हादसा होते-होते टल गया। दरअसल बिकलाखेड़ी और धाराखेड़ी के बीच छापरी में नाला उफान पर था। इसके बावजूद तिलावद गोविंद गांव में संचालित स्कूल अपेक्स इंटरनेशल के बच्चों से भरी बस चालक ने पानी में उतार दी। जिससे करीब 50 बच्चों से भरी बस उफान पर आए नाले में आधे से ज्यादा डूब गई। काफी मशक्कत के बाद भी चालक से बस आगे-पीछे नही हुई। काफी देर तक बच्चे बस में डरे-सहमे फंसे रहे। कुछ बच्चों तो इस दौरान चीखकर रोने भी लगे। उफने नाले में फंसी बस को निकालने के लिए ग्रामीणों ने हिम्मत दिखाई और ट्रेक्टर-ट्राली की मदद से बस को उफनते नाले के पानी से बाहर निकाला।
घटना के वीडियो सामने आने के बाद कलेक्टर दिनेश जैन ने मामले को गंभीरता से लिया। उन्होंने आरटीओ, एसडीएम, शिक्षा विभाग और पुलिस को मामले में कार्रवाई करने को कहा। इस पर अधिकारी मौके पर पहुंचे। किंतु उफनते नाले के कारण बच्चों तक नही पहुंच सके और न ही देर शाम तक बस जब्त करने के साथ चालक को हिरासत में लिया जा सका। बता दें कि जिले में वर्ष 2019 में भी इस तरह का बड़ा हादसा सामने आ चुका है। जब स्कूल बच्चों से भरी एक वैन बिना मुंडेर के कुएं में गिर गई थी। हादसे में तीन बच्चों की जान चली गई थी और आधा दर्जन से अधिक बच्चों को कुएं से बाहर निकालकर जान बचाई गई थी। शनिवार को अगर ग्रामीण हिम्मत नही दिखाते तो बड़ा हादसा हो जाता और कई घरों के चिराग स्कूल प्रबंधन और ड्रायवर की लापरवाही से बूझ जाते। देखना यह है कि घटना से जिम्मेदार क्या सबक लेते हैं और बच्चों के सुरक्षति सफर के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।
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— NaiDunia (@Nai_Dunia) July 24, 2022
स्कूल बस के उफनते नाले में फंसने का घटनाक्रम दोपहर करीब तीन बजे का बताया जा रहा है। ग्रामीणों ने ट्रेक्टर-ट्राली की मदद से बस को पानी से तो बाहर निकाल लिया। किंतु बस के खराब हो जाने के कारण बच्चों को न तो वापस स्कूल ले जाया जा सका और न ही उनके घर पहुंचाया जा सका। बस में अधिकांश बच्चे ग्राम धाराखेड़ी के निवासी थे। धाराखेड़ी के बच्चे तो पानी से बस बाहर आने के बाद अपने गांव चले गए। किंतु लाहौरी के करीब 15-20 बच्चे देर शाम तक ग्राम बिकलाखेड़ी में ही फंसे रहे। यहां ग्रामीणों ने उनका ख्याल रखा। बच्चों को गांव पहुंचाने के लिए वाहन की व्यवस्था करने की कवायद देर शाम तक जारी थी।