किसानों को मनाने में प्रशासन की विफलता ने सरकार की चिंताएं बढ़ा दी हैं। किसान इस महापंचायत में अपने मूल मांगों के साथ-साथ लाठीचार्ज के बाद मृतक किसान सुशील काजल को न्याय दिलाने के मकसद से नई अनाज मंडी में एकत्रित हुए थे। तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने, एमएसपी की गारंटी देने संबंधी मुख्य मांगों के साथ-साथ लाठीचार्ज का आदेश देने वाले एसडीएम आयुष सिन्हा और इसमें संलिप्त पुलिस कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग भी पूरी तरह बुलंद थी।

किसान जानते थे कि कृषि कानूनों को वापस लेना और एमएसपी की गारंटी देना राज्य सरकार के बस की बात नहीं है। इसलिए करनाल की किसान महापंचायत मृतक किसान सुशील काजल को न्याय दिलाने पर ही मुख्य रूप से केंद्रित रही। महापंचायत शुरू होने से पहले सुबह करीब डेढ़ घंटा अच्छी बारिश हुई। बावजूद इसके हजारों की संख्या में किसान नई अनाज मंडी पहुंचे। प्रदेश सरकार भी अपनी ओर से पूरी तरह कमर कस चुकी थी। किसानों का एलान था कि यदि मृतक सुशील काजल को न्याय नहीं मिलता, तो वे करनाल का लघु सचिवालय का घेराव करेंगे और वहीं डटे रहेंगे।

दूसरी ओर, सरकार ने 28 अगस्त को लाठीचार्ज की घटना के कुछ दिन बाद एसडीएम आयुष सिन्हा का तबादला तो करनाल से चंडीगढ़ कर दिया था लेकिन किसान नेता इसे संबंधित अफसर के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं मानते हैं। किसान नेताओं ने वायरल हुई वीडियो में लाठीचार्ज का आदेश देने वाले एसडीएम के खिलाफ हत्या का केस दर्ज करते हुए उन्हें बर्खास्त करने की मांग बुलंद कर रखी है।