नई दिल्‍ली. भारत के महानगरों में कोविड -19 की तीसरी लहर खत्म हो गई है और आने वाले महीने शांतिपूर्ण होने चाहिए. उनके अनुसार, जब तक वायरस कोई बड़ा बदलाव नहीं दिखाता, तब तक मामलों की संख्या में और उछाल की उम्मीद करने का कोई कारण नहीं है. डॉ अनुराग अग्रवाल ने कहा कि भारत के कोविड -19 परिदृश्य में किसी बड़े बदलाव की संभावना कम है, लेकिन जैसा कि हम जानते हैं कि वायरस पर्यावरण में घूम रहा है. यह वायरस, उत्परिवर्तित होकर प्रतिरक्षा को चकमा देता रहेगा.

डॉ अनुराग अग्रवाल ने कहा कि फिलहाल गंभीर बीमारी पैदा करने की संभावना कम है. खासकर, खराब हवादार वातावरण में बुनियादी कोविड -19 उपयुक्त व्यवहार का पालन करना उचित है.’ उन्होंने दावा किया कि 10 जनवरी को, भारत में ओमिक्रॉन कवरेज 90% से अधिक हो गया था और फरवरी तक, डेल्टा भारत के शहरों में केवल कुछ प्रतिशत तक कम हो गया होगा. उन्होंने दावा किया. ‘भारत में बहुत कम डेल्टा संस्करण प्रचलन में बचा है.’ संक्रमण की संभावना कम होने के साथ ही शीर्ष वैज्ञानिक का मानना ​​है कि मौजूदा हालात में बूस्टर डोज की जरूरत सामान्य आबादी के लिए कम है. उन्‍होंने कहा कि ‘इसके अलावा, सभी के लिए बूस्टर की आवश्यकता नहीं होती है. जिन लोगों को तत्काल बूस्टर की जरूरत थी, उच्च जोखिम वाले हेल्‍थ केयर वर्कर और 60 वर्ष से ऊपर की कमजोर आबादी को पहले से ही खुराक मिल रही है.’

वैज्ञानिक रूप से उन्होंने समझाया कि संक्रमण के जोखिम को कम करने के साथ-साथ गंभीर बीमारी से बचने के लिए बूस्टर दिए जाते हैं. ‘हालांकि, अभी, मामलों की संख्या कम होने के साथ, कई लोग पहले ही ओमिक्रॉन से ठीक हो चुके हैं, और कोई नया संस्करण दिखाई नहीं दे रहा है, संक्रमण और बीमारी का जोखिम पहले से ही कम है.’ उन्होंने कहा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए, केवल वे लोग जो असुरक्षित हैं और जिनके जोखिम का उच्च जोखिम है, उन्हें अभी अतिरिक्त टीके की खुराक की आवश्यकता है.

इधर, दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिकों के एक शोध से पता चलता है कि ओमिक्रॉन संक्रमण, कोरोनावायरस के डेल्टा संस्करण के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता को निष्क्रिय करता है. डॉ अनुराग अग्रवाल ने कहा कि डेटा के मिश्रित होने के बाद से अन्य वेरिएंट के खिलाफ प्रतिरक्षा को बढ़ाने वाले ओमिक्रॉन की संभावना को छूट देते हैं और कुछ लोग जिन्होंने ओमिक्रॉन संक्रमण के बाद डेल्टा का अच्छा न्यूट्रलाइजेशन दिखाया है, वे पहले भी डेल्टा से संक्रमित हो सकते हैं, जिससे मेमोरी सेल सक्रिय हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि सोचा गया है कि ओमिक्रॉन, डेल्टा के खिलाफ रक्षा करेगा. वहीं, कुछ अध्ययनों पर आधारित है और इस बात की संभावना बनी हुई है कि डेल्टा के साथ पहले संक्रमण हो सकता है.’

उन्‍होंने कहा कि ‘ऐसे मामले में, ओमिक्रॉन संक्रमण के बाद, ओमिक्रॉन के लिए नए एंटीबॉडी का विकास पुरानी मेमोरी कोशिकाओं के सक्रियण के साथ होगा जो डेल्टा के लिए एंटीबॉडी का उत्पादन कर सकते हैं. पहले असंक्रमित जानवरों में, हम ओमिक्रॉन प्रेरित एंटीबॉडी नहीं देख रहे हैं जो अन्य रूपों को बेअसर कर सकते हैं. इसलिए, यह कहना जल्दबाजी होगी कि ओमिक्रॉन अन्य वेरिएंट से सुरक्षा करता है और पिछले वेरिएंट की तुलना में अधिक एंटीबॉडी उत्पन्न करता है. उन्होंने कहा कि यह प्रकृति का टीका नहीं है.