बस्ती: उत्तर प्रदेश में बस्ती जनपद के एनएच 28 लखनऊ गोरखपुर हाइवे पर तिलकपुर गांव स्थित भगवान जागेश्वरनाथ शिव मंदिर का इतिहास त्रेता युग का है. इस मन्दिर की मान्यता है की जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से मान्यता मांगता है वह जरूर पूरी होती है. यहां पर सावन के महीने और महीने के हर सोमवार को भक्तों का ताता लगा रहता है. दूर दूर से लोग यहां भगवान जागेश्वरनाथ शिव मंदिर पर पूजन अर्चन करने आते हैं. सरकार द्वारा इस मन्दिर को पर्यटन के रुप में विकसित करने के लिए मन्दिर तथा उसके परिसर का जीर्णोद्धार भी किया जा रहा है.
मंदिर की स्थापना भगवान राम के गुरू महर्षि वशिष्ठ ने की थी. इतना ही नहीं बगल के गांव बढ़नी मिश्र में गुरू वशिष्ठ का आश्रम था, तो वो भगवान शिव की आराधना करने तिलकपुर आते थे. पुजारी ने जानकारी देते हुए बताया कि हमारे पूर्वज बताया करते थे की पहले यहां विशालकाय जंगल हुआ करता था जिसके बीच में भगवान शिव का यह मन्दिर स्थापित था. भगवान जागेश्वरनाथ शिव मंदिर की ऐसी मान्यता है कि पूरे देश से लोग यहां पूजन-अर्चन करने आते हैं. खासतौर पर सावन के पूरे महीने में यहां भक्तों का ताता लगा रहता है.
वहीं पुजारी धनंजय जी का कहना है कि हमारे पूर्वज बताते थे कि मन्दिर के घने जंगलों के पीछे अंग्रेजों ने शिविर बना रखा था और उन्होंने ही यहां के जंगलों की सफाई की थी. सफाई के दौरान उनको जंगलों के बीच में एक पत्थर दिखाई दिया जिसमें से रोशनी निकल रही थी. अंग्रेजों ने इस पत्थर की खुदाई करनी शुरू की जिसके चोट के निशान आज भी शिवलिंग पर विद्यमान है. खुदाई के दौरान शिव लिंग से बडी बड़ी मधुमक्खियां निकलने लगीं जो अंग्रेजों को काटने लगीं, जिससे अंग्रेज वहां से भागने लगे मधुमक्खियों के काटने से सैकड़ों अंग्रेजों की मौत भी हो गई थी.