धनबाद: भले की झारखंड सहित अन्य जगहों पर मानसून ने देरी से दस्तक दी है, लेकिन जून से ही रुक रुक कर हो रही इस मानसूनी बारिश ने वातावरण में उमस को काफी बढ़ा दिया है। क्योंकि जैसे ही बारिश थमती है और धूप निकलती है तो उमस अपने चरम पर आ जाता है। इस उमस से लोगों का ना केवल हाल बेहाल हो जाता है, बल्कि जरा सी लापरवाही से वह कई तरह की बीमारियों का शिकार भी हो जाते हैं।
शहर की जनरल फिजिशियन डाॅक्टर सौम्या बताती हैं कि उमस बढ़ने से किसी व्यक्ति के शरीर में सबसे ज्यादा परेशानी डिहाइड्रेशन को लेकर होती है, क्योंकि उमस के कारण पसीना बहुत ज्यादा आता है और यह देर से सूखता है। पसीना ज्यादा आने के कारण शरीर में आवश्यक खनिज तत्वों की कमी हो जाती है। पोटैशियम और सोडियम की कमी से कई अन्य तरह की परेशानी उत्पन्न होने की संभावना रहती है। खासकर ब्लड प्रेशर का अचानक से कम हो जाना या हर्ट रेट का नीचे चला जाना, और यह दोनों ही जानलेवा हो सकते हैं। वह कहती हैं कि बारिश होने पर लोगों को लगता है कि माैसम ठंडा हो चला है, शरीर को पानी की कम जरूरत होगी, लेकिन ऐसा होता नहीं है। इसलिए लोगों को पानी का इनटेक बढ़ाना चाहिए, ताकि पसीना निकलने से शरीर में हुई पानी की कमी की भरपाई की जा सके।
दूसरी ओर जो आम परेशानी इस मौसम में होती है, वह है लोगों के फूड हैबिट से संबंधित। लोग इस मौसम में ठंड और गर्म चीजें एक साथ ही खा लेते हैं। इसकी वजह से वायरल इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है, जो सर्दी जुकाम के रूप में सामने आता है। यह स्थिति साइनस और एस्नोफिलिया जैसी समस्याओं से जूझ रहे लोगों के लिए काफी नुकसानदायक होती है।
डाॅक्टर सौम्या कहती हैं कि हर किसी को इस मौसम में खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। लोगों को जंक फूूड से बचते हुए ज्यादा से ज्यादा ताजा बने भोजन का सेवन करना चाहिए। मौसमी फल सब्जी की मात्रा बढा कर बाहर के खाने से परहेज करना होगा। कोल्ड ड्रिंक और कुरकुरे जैसे खाद्य पदार्थों से दूरी बनाए रखनी होगी। खाना नियमित तौर पर खाएं। न कम खाएं और न ज्यादा।