वाराणसी: उत्तर प्रदेश में 7वें चरण का मतदान 7 मार्च को होगा. माना जा रहा है कि इस चरण में मुफ्त राशन , डीबीटी योजनाओं का और आवारा पशुओं का मुद्दा अहम है. जहां एक तरफ मुफ्त राशन के लिए लोग बीजेपी के पक्ष में खड़े होते हुए दिख रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ आवारा जानवर का मुद्दा सरकार की खिलाफत का कारण बन रहा है.
चुनाव में कौन से मुद्दे हैं अहम?
उत्तर प्रदेश की 54 विधान सभा सीटों पर मतदान के साथ सात चरणों का चुनाव सोमवार को समाप्त हो जाएगा और वोटों की गिनती 10 मार्च को होगी. हालांकि, लोगों के लिए मुफ्त राशन, डीबीटी योजनाएं, बेरोजगारी और आवारा मवेशी चुनाव के अंतिम चरण में प्रमुख चर्चा के बिंदु हैं. सत्तारूढ़ बीजेपी ने केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार और राज्य में योगी आदित्यनाथ सरकार के विकास और कल्याणकारी योजनाओं के साथ-साथ हिंदुत्व और राष्ट्रवाद से संबंधित मुद्दों को आक्रामक रूप से उठाया है.
किसको मिलेगा युवाओं का समर्थन?
कई जिलों में जहां सोमवार को मतदान होगा, वहां लोग इस बारे में बात कर रहे हैं कि कैसे मुफ्त राशन ने महामारी के दौरान उनकी मदद की. वहीं समाजवादी पार्टी और उसके गठबंधन सहयोगी बेरोजगारी का मुद्दा उठाकर युवाओं का समर्थन हासिल करने की उम्मीद कर रहे हैं.
15 करोड़ लोगों को मिला मुफ्त राशन स्कीम का फायदा
बीजेपी के लोगों का मानना है कि कोविड के प्रकोप के बाद से महीने में दो बार 15 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त राशन मिलना, उनकी पार्टी को फायदा पहुंचाएगा.
हालांकि, बीजेपी के राजनीतिक विरोधियों को लगता है कि लोग महंगाई, बेरोजगारी, किसानों की समस्या और आवारा मवेशियों जैसे मुद्दों पर वोट करेंगे. चुनाव प्रचार के बीच आवारा मवेशी एक प्रमुख राजनीतिक मुद्दा बन गया और इसने प्रधानमंत्री को एक चुनावी रैली में इसके बारे में बात करने के लिए मजबूर किया और मतदाताओं को आश्वासन दिया कि 10 मार्च के बाद बीजेपी के सत्ता में आने पर इसका समाधान किया जाएगा.
बेरोजगारी एक और बड़ा मुद्दा है और सत्तारूढ़ बीजेपी का दावा है कि सरकार ने रोजगार देने के अवसर पैदा किए हैं जबकि विपक्ष का दावा है कि युवाओं के लिए रोजगार नहीं है. माना जा रहा है कि लोग आवारा पशुओं के मुद्दे और मुफ्त राशन जैसी योजनाओं को ध्यान में रखते हुए जाति से ऊपर उठकर वोट कर सकते हैं.