गरुड़ पुराण में बताया गया है कि जब व्‍यक्ति का दम निकलने वाला रहता है तो एक प्रकार का रहस्‍यमयी द्वार दिखने लगता है। कुछ लोगों को उस द्वार से प्रकाश की किरणें निकलती हुई नजर आती हैं तो कुछ को उस द्वार से आग की लपटें निकलती हुई दिखती हैं। कुछ लोगों को उस द्वार से प्रकाश की किरणें निकलती हुई नजर आती हैं तो कुछ को उस द्वार से आग की लपटें निकलती हुई दिखती हैं। कोई व्‍यक्ति गंभीर रूप से बीमार है और ऐसा कुछ दिखाई दे तो परिजनों को समझ जाना चाहिए अब वह व्‍यक्ति उनका साथ छोड़ने वाला है। उन्‍हें उसकी आखिरी इच्‍छाएं जाननी शुरू कर देनी चाहिए।

जीवन के आखिरी पलों में व्‍यक्ति को श्‍याम वर्ण के ऐसे लोग नजर आते हैं जो उससे कहते हैं। दरअसल ये यमदूत होते हैं जो उस व्‍यक्ति की आत्‍मा को अपने साथ ले जाने आते हैं। जब व्‍यक्ति को यम दूतों के अपने आस-पास होने का एहसास होने लगे तो समझ जाना चाहिए उसकी कुछ ही सांसें शेष रह गई हैं। ऐसा होने पर आसपास का माहौल भी नकारात्‍मक हो जाता है।

अक्‍सर यह कहते लोगों को सुना जाता है जब मौत आती है तो परछाईं भी साथ नहीं देती। यह सिर्फ एक कहावत नहीं बल्कि सच है। व्‍यक्ति का आखिरी वक्‍त निकट आ जाने पर उसे पानी, शीशा और घी, तेल में अपनी परछाई नहीं दिखाई देती। ऐसा होने पर तुरंत समझ जाएं कि अब अधिक समय शेष नहीं रह गया है।

जब व्‍यक्ति का आखिरी वक्‍त करीब आता है तो उसे अपने बीते हुए कल के अच्‍छे और बुरे कर्म अचानक से याद आने लगते हैं। अंतिम समय आने पर वह अपने मन में दबी वे इच्‍छाएं अपने परिजनो को बताना चाहता है जो उसने आज तक किसी से साझा नहीं की हैं। ऐसा होने पर आपको उस व्‍यक्ति की बातें धैर्य पूर्वक सुननी चाहिए और उनकी आखिरी इच्‍छाएं पूर्ण करनी चाहिए।