नई दिल्ली: खुले बाजार में आटे की बढ़ती कीमत ने सरकार की नींद उड़ा दी है। इसलिए सरकार ने एक बार फिर से गेहूं के स्टॉक लिमिट में कमी की है। शुक्रवार को केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के विभाग ने गेहूं के स्टॉक लिमिट में समीक्षा की। अब कोई भी व्यापारी या होलसेलर 2,000 टन से ज्यादा गेहूं नहीं जमा कर सकेंगे। पहले यह सीमा 3,000 टन की थी।
इसी साल जून के चौथे सप्ताह के दौरान केंद्र सरकार ने गेहूं पर पहली बार स्टॉक लिमिट लगाई थी। इस कदम का मकसद गेहूं की जमाखोरी पर रोक लगाना था। सरकार ने यह लिमिट खुदरा विक्रेताओं, थोक विक्रेताओं, व्हीट प्रोसेसर्स और बड़ी चेन के खुदरा विक्रेताओं के लिए गेहूं के भंडारण पर तय की थी।
केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गेहूं और उसके प्रोडक्ट्स की कीमतों में स्थिरता लाने के लिए ऐसा किया गया है। साथ ही गेहूं की जमाखोरी को रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है। उन्होंने बताया कि अब एकल थोक विक्रेता या ट्रेडर्स अधिकतम 2,000 टन गेहूं का ही भंडारण कर सकते हैं। पहले यह लिमिट 3,000 टन की थी। खुदरा विक्रेता पहले की तरह 10 टन तक गेहूं अपने गोदाम में रख सकते हैं। बड़ी चेन के खुदरा विक्रेता अब हर आउटलेट पर 10 टन ही गेहूं रख सकेंगे। उनके डिपो में पहले 3,000 टन तक गेहूं रखने की छूट थी, जिसे अब घटा कर कुल आउटलेट के 10 गुने की सीमा तय कर दी गई है। गेहूं के प्रोसेर्स अब मंथली इंस्टाल्ड कैपिसिटी के 60 फीसदी तक ही गेहूं रख सकेंगे। पहले यह सीमा 70 फीसदी की थी।
केंद्र सरकार ने कहा है कि अब जो भी विक्रेता या प्रोसेसर गेहूं का स्टॉक रखेंगे, वे हर शुक्रवार को अपने पास भंडारित गेहूं के स्टॉक का खुलासा करेंगे। यह सूचना केंद्र सरकार के गेहूं स्टॉक लिमिट के लिए तैयार किए गए पोर्टल पर देनी होगी।
मंत्रालय के अधिकारी का कहना है कि फिलहाल गेहूं के निर्यात पर कोई प्रतिबंध नहीं है। सरकार चाहती है कि गेहूं की कीमतें स्थिर रहे। उल्लेखनीय है कि खुले बाजार में आटा, गेहूं सहित इससे तैयार होने वाले सभी आवश्यक वस्तुओं की कीमतें बढ़ रही हैं। इस समय कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है जबकि कुछ और राज्य में होने वाले हैं। ऐसे में सरकार जनता की नाराजगी मोल लेना नहीं चाहती है।