नई दिल्ली. ऊंचे-लंबे कद को भले ही सामाजिक नजरिए से पसंदीदा माना जाता रहा हो, पर असल में लंबाई अधिक होना आपमें कई प्रकार की बीमारियों के जोखिमों को बढ़ाने वाली हो सकती है। एक हालिया अध्ययन में शोधकर्ताओं ने इसके संभावित जोखिमों के बारे में विस्तार से चर्चा की है। बड़े स्तर पर किए गए इस जेनेटिक अध्ययन में वैज्ञानिकों की टीम ने पाया कि किसी भी व्यक्ति की लंबाई, वयस्कता में उसमें कई प्रकार के स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम को बढ़ा सकती है। वीए ईस्टर्न कोलोराडो हेल्थ केयर सिस्टम के डॉ. श्रीधरन राघवन के नेतृत्व वाली अध्ययनकर्ताओं की टीम ने जोखिमों के बारे में अलर्ट किया है।

इस शोध के दौरान वैज्ञानिकों ने यह जानने की कोशिश की है कि महामारी विज्ञान के दृष्टिकोण से क्लीनिकल कंडीशन और ऊंचाई किस प्रकार से संबंधित है? इसमें टीम ने पाया कि लंबे लोगों में समय के साथ कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं के विकसित होने का खतरा अधिक हो सकता है, हालांकि वृहद स्तर पर इसकी पुष्टि के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है। आइए इस अध्ययन के बारे में विस्तार से जानते हैं।

जर्नल प्लस जेनेटिक्स में प्रकाशित अध्ययन में डॉ. श्रीधरन राघवन कहते हैं, इस अध्ययन में आनुवंशिक रूप से अनुमानित ऊंचाई के क्लीनिकल कंडीशन के बीच संबंधों के बारे में पता चलता है। दूसरे शब्दों में, ये ऐसी स्थितियां हैं जिनके लिए ऊंचाई एक जोखिम कारक या सुरक्षात्मक कारक हो सकती है। ऊंचाई को आमतौर पर बीमारियों के लिए जोखिम कारक नहीं माना जाता रहा है, लेकिन पिछले कई अध्ययनों में शोधकर्ताओं ने पाया कि लंबाई कुछ बीमारियों के खतरे को बढ़ाने वाली हो सकती है।

हालांकि लंबाई अधिक होना सिर्फ समस्याकारक ही नहीं है, यह आपमें हृदय रोगों के जोखिम को कम करने वाली भी स्थिति हो सकती है।

शोधकर्ताओं ने बताया, किसी व्यक्ति की लंबाई कितनी होगी यह आंशिक रूप से उनके माता-पिता से विरासत में मिले जीन पर निर्भर करती है। हालांकि पोषण, सामाजिक आर्थिक स्थिति और जनसांख्यिकी (उदाहरण के लिए, उम्र या लिंग) जैसे पर्यावरणीय कारक भी इसमें भूमिका निभाते हैं। इस संबंध का पता लगाने के लिए, शोधकर्ताओं ने 2.80 लाख से अधिक लोगों के आनुवंशिक और चिकित्सा डेटा का अध्ययन किया। कई स्तर पर किए गए इस शोध के आधार पर वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि आनुवंशिक रूप से अनुमानित ऊंचाई, करीब 127 प्रकार की चिकित्सा समस्याओं के जोखिम को बढ़ा सकती है।

वैज्ञानिकों की टीम ने बताया कि लंबे लोगों में कोरोनरी हृदय रोगों का जोखिम कम पाया गया है पर यह एट्रियल फिब्रिलेशन, पेरीफेरल न्यूरोपैथी और सर्कुलेशन विकारों के जोखिमों को बढ़ा सकती है। वैज्ञानिकों ने पाया कि लंबे लोगों में देखी गई न्यूरोपैथी की समस्याओं के कारण उनमें इरेक्टाइल डिसफंक्शन और पेशाब से संबंधित समस्याओं का खतरा भी अधिक हो सकता है। हालांकि विस्तृत स्तर पर इन समस्याओं की पुष्टि के लिए और अधिक अध्ययनों की आवश्यकता हो सकती है।