नई दिल्ली. यदि आप उपवास करते हैं तो यह खबर आपके बहुत काम की है। शायद ही आपको पता होगा कि उपवास से हमारा शरीर गंभीर रोगों से बच सकता है। एक अध्ययन में यह बात खुलकर सामने आई है। इसके अनुसार यह हमें यह जांचने के लिए प्रेरित करता है कि क्या जीवनशैली में बदलाव से हमें मदद सकती है। बताया गया है कि नियमित उपवास आंत के बैक्टीरिया की गतिविधि को बदलने में मदद करता है और तंत्रिका क्षति से उबरने की उनकी क्षमता को बढ़ाता है। चूहों पर किए गए टीम का कहना है कि क्लोस्ट्रीडियम स्पोरोजेनेसिस नाम का बैक्टीरिया जो आइपीए पैदा करता है वह मनुष्यों के साथ-साथ चूहों में भी स्वाभाविक रूप से पाया जाता है, इसके साथ ही आइपीए इंसान के खून में भी मौजूद होता है।

अध्ययकर्ता, इंपीरियल्स डिपार्टमेंट आफ ब्रिटेन साइंसेस के प्रोफेसर सिमोन डि जियोवानी ने बताया कि सर्जिकल पुनर्निर्माण के अलावा तंत्रिका क्षति वाले लोगों के लिए वर्तमान में कोई इलाज नहीं है, जो केवल कुछ ही मामलों में प्रभावी है। उन्होंने बताया कि नियमित उपवास को पहले भी अध्ययन में घाव की मरम्मत और नए न्यूरांस के विकास से जोड़ा गया, लेकिन हमारा अध्ययन यह समझाने वाला पहला है कि उपवास नसों को ठीक करने में कैसे मदद कर सकता है।

उपवास की महत्ता हम सदियों से जानते हैं। हमारे ऋषियों-मुनियों से लेकर आज के विज्ञानी भी हिदायतों के साथ इसके लाभ से इन्कार नहीं करते। इंपीरियल कालेज लंदन के शोधकर्ताओं ने देखा कि कैसे उपवास के कारण आंत के बैक्टीरिया ने 3-इंडोलप्रोपियोनिक एसिड (आइपीए) के रूप में जाना जाने वाला मेटाबोलाइट का उत्पादन बढ़ा दिया, जो तंत्रिका कोशिकाओं के सिरों पर एक्सान-फाइबर जैसी संरचनाओं को पुनर्उत्पन्न करने के लिए आवश्यक है, ये शरीर की अन्य कोशिकाओं को विद्युत-रासायनिक संकेत भेजते हैं। यह अध्ययन नेचर जर्नल में हाल ही में प्रकाशित हुआ है।