करनाल। 28 अगस्त को किसानों पर लाठीचार्ज का आदेश देने वाले करनाल के तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा के खिलाफ किसान सख्त कार्रवाई चाहते हैं। इसे लेकर लघु सचिवालय में 15 किसान नेताओं के प्रतिनिधि मंडल के साथ प्रशासन की वार्ता हुई, लेकिन डीसी निशांत कुमार यादव और एसपी गंगाराम पूनिया के साथ दो घंटे पांच मिनट चली वार्ता बेनतीजा रही। क्योंकि प्रशासन की ओर से एसडीएम के खिलाफ कार्रवाई की मांग से इंकार कर दिया गया। साथ ही जांच के बाद कार्रवाई का आश्वासन दिया गया। इसके बाद मंच से वार्ता विफल होने का एलान होते ही शाम करीब सवा चार बजे किसानों ने महापंचायत स्थल नई अनाज मंडी से लघु सचिवालय की ओर कूच किया।

मंगलवार को दोपहर करीब एक बजकर पांच मिनट पर अलग-अलग दो समूहों में किसान नेता वार्ता के लिए लघु सचिवालय पहुंचे। इसके बाद तीन बजकर 10 मिनट पर लघु सचिवालय के बाहर आए। बैठक में किसान संगठनों के राष्ट्रीय, राज्य और स्थानीय 15 नेताओं ने हिस्सा लिया। किसानों ने इस दो घंटे की बैठक में पहली वार्ता में ब्रेक लिया था। दूसरे दौर की वार्ता के बाद भी जब सहमति नहीं बनी तो किसान नेता उठकर बाहर आ गए थे। लेकिन तुरंत ही प्रशासन ने नेताओं को तीसरे दौर की बैठक के लिए बुला लिया, लेकिन यह भी विफल रही। बैठक में किसान नेता राकेश टिकैत, गुरनाम सिंह चढूनी, सुरेश कौथ, दर्शन पाल, रामपाल चहल, बलबीर सिंह राजेवाल, योग्रेंद यादव, इंद्रजीत सिंह, अजय राणा, सुखबिंदर चहल और विकास शिखर सहित अन्य नेता शामिल रहे।

नेता बोले, जैसे महाभारत में पांच गांव मांगे, वैसे हमारी भी एक ही मांग थी
बैठक के बाद बाहर आकर किसान नेता योगेंद्र यादव ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि बैठक में किसानों ने एक ही मांग रखी। बार-बार हमने कहा कि एसडीएम आईएएस अफसर ने जो किया वो अक्षम्य है। उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। यही एक मांग रखी गई थी, लेकिन अधिकारी उसकी गलती को मानने की बजाय उसका पक्ष ले रहे थे। उन्होंने कहा कि आखिर में जैसे महाभारत में हुआ था कि पांडवों ने पांच गांव ही मांग लिए थे, वैसे ही हमारे वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि और कुछ नहीं कर सकते आप तो कम से कम मामले की जांच कराओ और इससे पहले एसडीएम को सस्पेंड तो कर दो। जैसा अन्य मामलों में होता है। हम जांच कराने को तैयार हैं, लेकिन इस जांच से पहले अधिकारी का सस्पेंड होना जरूरी है। सरकार इसके लिए भी तैयार नहीं, इसके बाद आंदोलन के अलावा हमारे पास कोई रास्ता नहीं बचा।

डीसी बोले, बिना जांच अधिकारी नहीं हो सकते निलंबित
बैठक में डीसी निशांत कुमार यादव ने कहा कि किसी भी अधिकारी को बिना जांच के निलंबित नहीं किया जा सकता और तत्कालीन एसडीएम के खिलाफ जांच चल रही है। तत्कालीन एसडीएम को रेलवे रोड पर स्थित नाका नंबर 3 पर ड्यूटी मजिस्ट्रेट थे, उस नाके पर किसानों और पुलिस के बीच कोई तकरार नहीं हुआ, परंतु एसडीएम की ओर से जो बोला जा रहा है, उनके शब्द गलत थे, जिसकी सभी ने निंदा की है, मगर भावना गलत नहीं थी, क्योंकि कानून व्यवस्था बनाए रखने और मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में व्यवधान न आए इसके लिए वह अपनी ड्यूटी निभा रहे थे। उस दिन किसान नेताओं द्वारा डेरा कार सेवा में इकट्ठा होने की कॉल थी। लेकिन किसान बसताड़ा टोल प्लाजा पर भारी संख्या में इकट्ठे हो गए और हाईवे को जाम कर दिया। जाम को खुलवाने और यात्रा कर रहे लोगों के जानमाल की सुरक्षा हेतु सड़क रोकने वाले लोगों को तितर-बितर किया गया। किसानों और पुलिस के बीच तनाव की यह घटना करनाल से करीब 10 किलोमीटर दूर बसताड़ा टोल प्लाजा की है।

पांच मिनट नाके पर किया नेताओं ने इंतजार, टिकैत समर्थकों से हुई धक्का मुक्की
वार्ता के लिए किसान नेता चार जगह से बैरिकेड हटने के बाद सचिवालय पहुंचे। अंतिम बैरिकेड सचिवालय पर पैरामिलिट्री फोर्स तैनात थी, जब तक फोर्स के पास प्रशासन से संदेश नहीं पहुंचा तो उन्होंने किसान नेताओं को वहां पांच मिनट तक रोके रखा। संदेश आने के बाद बैरिकेड हटाकर किसानों को भीतर जाने दिया गया। अब प्रशासनिक अधिकारियों और किसान नेताओं की बैठक चल रही है। वहीं, साथ जाने की बात कह रहे टिकैत के समर्थकों से सचिवालय बैरिकेड पर धक्का-मुक्की हुई, लेकिन फोर्स ने उन्हें भीतर नहीं जाने दिया।

बैठक के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि हमारी मांग मानी नहीं गई। हमने कहा कि अधिकारी को सस्पेंड कर दो, आगे जो जांच है, वो चलती रहेगी। लेकिन वे इस बात पर भी नहीं माने। जब उनसे पूछा कि किसान शहर में आए तो नुकसान हो सकता है, इस पर उन्होंने जवाब दिया कि हो जाने दो..। जो कुछ होगा। हमें क्या पता, जो होगा उसकी जिम्मेदारी सरकार की है। सरकार टकराव चाहती है। शाम को सचिवालय पहुंचने के बाद ट्वीट करके उन्होंने कहा कि रास्ते में पुलिस ने किसानों को हिरासत में लिया था, लेकिन युवाओं के जोश के आगे पुलिस को उन्हें छोड़ना पड़ा।

जो भी होगा शांतिपूर्वक होगा। कोई हिंसा नहीं होगी। हमारा कोई साथी हिंसा नहीं करेगा। पुलिस या सरकार के आदमी हिंसा करें, तो उनकी जिम्मेदारी। हमारी तरफ से हाथ नहीं उठेगा। चाहे कैसा भी हमला हो। हम सचिवालय तक शांतिपूर्वक आए। यदि इन्होंने कुछ करना है तो मैं नेता के रूप में सिर सबसे पहले फोड़वाने को तैयार हूं।

बैठक में कोई फैसला नहीं हुआ। बातचीत टूट गई। मंडी में निर्णय लेने के बाद हम आगे आए। कृषि मंत्री जेपी दलाल के कांग्रेस से उनके द्वारा रैली कराने के बयान पर उन्होंने कहा कि जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि। यानी जैसे वे खुद हैं, उन्हें सब वैसे ही दिखते हैं।