नई दिल्ली. भारत में शादी को जीवन भर का साथ माना जाता है। यह वह पवित्र रिश्ता होता है, जिसमें दूल्हा और दुल्हन ही नहीं बल्कि उनके परिवार भी एक हो जाते हैं। ऐसे में लोग अपने-अपने रीति रिवाजों और मान्यताओं के मुताबिक, धूमधाम से शादी करते हैं। सभी धर्मों में अलग अलग तरीकों से शादी की परंपराएं होती हैं, जिनके लिए लोग महीनों पहले से तैयारी करते हैं। हफ्तेभर का शादी उत्सव मनाया जाता है लेकिन वक्त के साथ कोर्ट मैरिज की मांग बढ़ी है। अब कपल कोर्ट मैरिज की ओर अधिक आकर्षित हो रहे हैं। पहले ये धारणा थी कि जो लोग कोर्ट मैरिज करते हैं, उनकी कोई सामाजिक, पारिवारिक या आर्थिक वजह हो सकती है। लेकिन अब यह धारणा भी बदल रही है। लोग कोर्ट मैरिज को अपनी पसंद बना कर अपनाते हैं। भले ही कोर्ट मैरिज के बाद वह अपनी धार्मिक परंपरा के मुताबिक शादी भी करें। अगर आप भी शादी करने वाले हैं तो कोर्ट मैरिज के नियम, कोर्ट मैरिज के लाभ और उससे जुड़ी जरूरी बातों को जान लें।
कोर्ट मैरिज कैसे होती है?
अगर आप अपने पार्टनर के साथ कोर्ट मैरिज करना चाहते हैं लेकिन इसके बारे में आपको अधिक जानकारी नहीं है तो कोर्ट मैरिज करने की प्रक्रिया और नियम को आसान शब्दों में समझ लें। स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 के तहत कपल किसी भी धर्म, जाति या समुदाय का हो, कोर्ट मैरिज करने के बाद उनकी शादी को कानूनी मान्यता मिल जाती है। इसके लिए आपको कोर्ट जाना होता है, जहां मैरिज ऑफिसर की उपस्थिति में कपल की शादी कराई जाती है। इसमें किसी तरह के रीति रिवाज नहीं होते, मात्र आपके साइन से दो लोग कानूनी रूप से रिश्ते में बंध जाते हैं।
कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया
-कोर्ट मैरिज करने के लिए लड़के और लड़की को एक फाॅर्म ऑनलाइन डाउनलोड करना होता है।
-इस फॉर्म में उन्हें कोर्ट मैरिज का नोटिस डिक्लेरेशन देना होता है।
-कोर्ट में मैरिज रजिस्ट्रार के सामने कपल शादी का आवेदन देकर कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया को पूरा कर सकते हैं।
कोर्ट मैरिज के लिए जरूरी बातें
-कोर्ट मैरिज करने जा रहे हैं तो सबसे पहले ये जान लें कि शादी करने के लिए लड़का और लड़की दोनों का बालिक होना जरूरी है। शादी के लिए लड़के की उम्र 21 साल और लड़की की उम्र 18 साल से ज्यादा होनी चाहिए।
-शादी के लिए कोर्ट आने वाला जोड़ा मानसिक तौर पर स्वस्थ होना चाहिए।
-कोर्ट मैरिज के लिए लड़का या लड़की अविवाहित होने चाहिए। यानी वह पहले से किसी अन्य के साथ शादी के रिश्ते में न बंधे हों।
-अगर लड़का या लड़की में से किसी ने पहले शादी की हुई है तो उनका तलाक होना चाहिए या फिर उनका पहला पति/पत्नी जीवित न हो।
-कोर्ट मैरिज के लिए लड़का और लड़की दोनों की सहमति जरूरी होती है।
कोर्ट मैरिज के फायदे-
कोर्ट मैरिज करने के कई फायदे हैं। पहला, आमतौर पर शादी में काफी पैसा खर्च होता है लेकिन कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया आसान और कम समय में पूरी हो जाती है। इससे आपके पैसों की बचत होती है। कोर्ट मैरिज कम खर्च में की जा सकती है।
-बिना किसी सजावट, शोर शराबे, दहेज के लेन-देन और दावत व मेहमानों के बिना कोर्ट मैरिज की जा सकती है।
-परंपरागत शादी किसी उत्सव से कम नहीं होता, जिसमें कई सारे रीति रिवाजों को पूरा करने के लिए बहुत सारा समय चाहिए होता है। लेकिन कोर्ट मैरिज कम समय में ही हो जाती है। इससे कपल और उनके परिवार का समय बचता है।
-शादियों में होने वाले रीति रिवाज अक्सर कपल और उनके परिवार के लिए तनाव की वजह बन जाते हैं। लेकिन कोर्ट मैरिज में इन रीति रिवाजों को पूरा करने की जरूरत नहीं होती।