नई दिल्ली. श्रीलंका का संकट दिनों-दिन गहराता जा रहा है। देश छोड़कर भागे राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने इस्तीफा दे दिया है। 51 अरब डॉलर के विदेशी कर्ज के बोझ तले दबे इस देश के लोग सड़कों पर उतर आए हैं। वहीं, श्रीलंका के बाद अब पाकिस्तान भी दिवालिया होने की कगार पर है। पाकिस्तान पर कर्ज का बोझ बहुत बढ़ चुका है और विदेशी मुद्रा भंडार बहुत घट चुका है, जिसके बाद रेटिंग एजेंसियों ने आशंका जताई है।

श्रीलंका, लेबनान, रूस, सूरीनाम और जाम्बिया पहले से ही डिफॉल्ट हैं और कम से कम एक दर्जन देश ऐसे हैं जिनके डिफॉल्ट करने की आशंका जताई जा रही है। इसमें पाकिस्तान, ट्यूनिशिया, यूक्रेन, घाना, इथोपिया, इक्वाडोर, अर्जेंटीना, बेलारूस, इजिप्ट, केन्या, एल साल्वाडोर, नाइजीरिया शामिल हैं। हालांकि रूस के डिफॉल्ट होने की वजह पैसे की कमी नहीं है। दरअसल, यूक्रेन पर रूस की सैन्य कार्रवाई के बाद अमेरिका और यूरोप ने कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए हैं जिसमें पैसे के लेन देन का प्रतिबंध भी है। इस वजह से रूस को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

वहीं, पाकिस्तान की बात करें तो देश की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है। पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार गिरकर 9.8 अरब डॉलर तक पहुंच गया है, जिससे जरूरी चीजों के आयात के लिए दिक्कतें आ सकती हैं। पाकिस्तानी रुपया कमजोर होकर रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है। देश में नई सरकार आई है लेकिन उसे आर्थिक मोर्चे पर कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इस बीच, पाकिस्तान को आईएमएफ के साथ कर्मचारी स्तर के समझौते की मंजूरी मिली है। उसका 1.17 अरब डॉलर की ऋण किश्त पर समझौता हुआ है।

वहीं, प्रतिबंधों ने पिछले महीने रूस को डिफॉल्ट कर दिया, जबकि बेलारूस को भी इसी तरह के प्रतिंबधों का सामना करना पड़ रहा है जिसने यूक्रेन के साथ युद्ध में रूस का साथ दिया। लैटिन अमेरिकी देश इक्वाडोर दो साल पहले ही डिफॉल्ट किया था लेकिन हिंसक विरोध प्रदर्शनों और राष्ट्रपति गुइलेर्मो लासो को बाहर करने के प्रयास ने इसे संकट में डाल दिया है।