मेरठ. उत्तर प्रदेश के मेरठ की बेटियां इस दिनों पूरे प्रदेश में छाई हुई हैं. जल्द ही ये होनहार लड़कियां कॉमनवलेथ गेम्स और अन्य प्रतिष्ठित प्रतिस्पर्धाओं में भी देश का नाम रोशन करने वाली हैं. हम बात कर रहे हैं, पारुल चौधरी (दौड़), अन्नू रानी (भाला फेंक) और प्रियंका (रेस वॉकर) की. ये तीनों अपने क्षेत्रों में श्रेष्ठ प्रदर्शन कर रही हैं और जल्द ही आगे भी अपना शत प्रतिशत देने के लिए तैयार हैं.

मेरठ के किसान की बेटी पारुल चौधरी ने हाल ही तीन हजार मीटर की दौड़ में राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ा है. वह अब 15 जुलाई से विश्व चैंपियनशिप में हिस्सा लेंगी. मेरठ के बहादुरपुर गांव के किसान की बेटी अन्नू रानी भाला फेंक खेल में वर्ल्ड चैंपियनशिप और कॉमनवेल्थ गेम्स में हिस्सा लेंगी. वहीं, कभी कंडक्टर रहे शख्स की बेटी रेस वॉकर प्रियंका भी विश्व चैंपियनशिप और कॉमनवलेथ गेम्स में भारत का तिरंगा लहराने को बेताब हैं. इन सभी बेटियों के संघर्ष की कहानी काफी प्रेरणादायक है.

बता दें कि आगामी 15 जुलाई से अमेरिका में विश्व चैंपियनशिप होगी. वहीं, 28 जुलाई से इंग्लैण्ड के बर्घिंगम में कॉमनवेल्थ गेम्स होने वाले हैं. इन गेम्स में मेरठ की धाकड़ खिलाड़ी बेटियां वैश्विक पटल पर भारत का तिरंगा लहराना चाहती हैं.

देश की उड़नपरी बन चुकी मेरठ की चैंपियन बिटिया पारुल अमेरिका में आयोजित हो रही विश्व चैंपियनशिप में हिस्सा लेगी. पारुल ने गांव की पगडंडियों से निकलकर हाल ही में अमेरिका में भारत का तिरंगा लहराया है. एथलीट पारुल चौधरी ने लॉस एंजेलिस में महिलाओं की 3000 मीटर स्पर्धा मे राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ा है. खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी उन्हें बधाई दी थी. एक समय वह भी था जब पारुल चौधरी 14 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर मेरठ के स्टेडियम में प्रैक्टिस के लिए जाया करती थी. अब पारुल की मेहनत रंग ला रही है और वह कई पदक अपने नाम कर चुकी है. बेटी की सफलता से खुश पिता ने एक कमरा ही बेटी के मेडल के नाम कर दिया है.

मेरठ के बहादुरपुर गांव की रहने वाली किसान की बेटी अन्नू रानी भाला फेंक खेल में टोक्यो ओलम्पिक में भी हिस्सा ले चुकी है. अन्नू रानी गन्ने को भाला बनाकर प्रैक्टिस करती थीं. कभी वो चंदे से इकट्ठा हुई रकम से जूता खरीदती थीं. शुरुआती दौर में काफी संघर्ष के बाद आज अन्नू पूरे देश का नाम रोशन कर रही है. एशियाई गेम्स 2014 में कांस्य पदक, एशियाई चैंपियनशिप 2015 में कांस्य पदक, एशियाई चैंपियनशिप 2017 में रजत पदक वे जीत चुकी हैं. इसके अलावा आठ बार की राष्ट्रीय रिकॉर्ड होल्डर महिला एथलिट कॉमन वेल्थ गेम्स 2014 में भी हिस्सा ले चुकी हैं. ऑस्त्रा गोल्डन स्पाइक प्रतियोगिता के कांस्य पदक भी ले चुकी हैं. वे जैवलिन थ्रो में 60 मीटर की दूरी पार करने वाली देश की पहली महिला एथलीट हैं. साथ ही वर्ल्ड एथलेटिक चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने वाली देश की पहली महिला एथलिट भी हैं.

टोक्यो ओलम्पिक में हिस्सा ले चुकी रेस वॉकिंग की नई सनसनी प्रियंका गोस्वामी के पिता कभी बस कंडक्टर थे. प्रियंका ने सबसे पहले वर्ष 2015 में रेस वॉकिंग में तिरुअनंतपुरुम में आयोजित हुई राष्ट्रीय चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था. मैंगलोर में फेडरेशन कप में भी तीसरे स्थान पर रहते हुए कांस्य पर कब्जा जमाया था. वर्ष 2017 में दिल्ली में हुई नेशनल रेस वॉकिंग चैंपियनशिप में इस एथलीट ने कमाल करते हुए अपने वर्ग में शीर्ष स्थान हासिल करते हुए गोल्ड मेडल जीता. 2018 में खेल कोटे से रेलवे में प्रियंका को क्लर्क की नौकरी मिल गई.