मुजफ्फरनगर। राजनीति में बेटों का भविष्य स्वर्णिम बनाने के लिए पुराने दिग्गज भी अपना-अपना कौशल दिखा रहे हैं। भाजपा, सपा-रालोद गठबंधन और कांग्रेस के पुराने नेता अपने-अपने बेटों के लिए टिकट मांग रहे हैं। चार से पांच दशक पुरानी राजनीतिक के अनुभव का हवाला भी दिया जा रहा है। जोड़-तोड़ आखिरी दौर में है, ऐसे मेें ताकत झोंक दी गई है। बेटों को स्थापित करने के लिए पाला बदल भी खूब हुई है। पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक कांग्रेस से सपा में पहुंच गए, पूर्व सांसद अमीर आलम रालोद का हिस्सा बने और पूर्व मंत्री वीरेंद्र सिंह सपा से भाजपाई हो गए। देखने वाली बात यह होगी कि इस बार किसका दांव लगेगा।
अस्सी के दशक से जिले की राजनीति में सक्रिय हरेंद्र मलिक अपने बेटे पंकज मलिक को दोबारा जिले की राजनीति में स्थापित करने के लिए सपा में शामिल हुए। हरेंद्र 1985 में लोकदल के टिकट पर पहली बार खतौली से विधायक बने थे। मलिक 1993 तक विधायक और इसके बाद राज्यसभा सांसद रहे। पंकज मलिक कांग्रेस के टिकट पर 2007 में बघरा और शामली से विधायक चुने गए। इस बार हरेंद्र अपने बेटे के लिए चरथावल विधानसभा से टिकट मांग रहे हैं।
पूर्व सांसद अमीर आलम लोकदल के टिकट पर 1985 में शामली की गढ़ीपुख्ता सीट से विधायक बने थे। 1989 में मोरना, 1996 में थानाभवन से विधायक और 1999 में कैराना सीट से सांसद रहे। सपा के टिकट उनके बेटे नवाजिश आलम ने 2012 में बुढ़ाना से विधायक बने। 2017 में मीरापुर से बसपा के टिकट पर हार गए। इस बार रालोद से नवाजिश आलम के लिए टिकट की मांग की जा रही है।
पूर्व मंत्री सईदुज्जमां जिले के सबसे पुराने नेताओं में से एक हैं। 1980 में कांग्रेस के टिकट पर मोरना से चुनाव हार गए थे। यहीं से 1985 में विधायक चुने गए। मोरना से वह कई चुनाव हारे। 1999 में मुजफ्फरनगर सीट से सांसद बने तो गृह राज्यमंत्री बनाए गए। 2012 में चरथावल से चुनाव लड़े, लेकिन हार गए। इनके बेटे सलमान सईद ने 2002 में मीरापुर, 2016 का उपचुनाव सदर से लड़ा, लेकिन हार गए। इस बार कांग्रेस से सदर का टिकट मांग रहे हैं।
बसपा के टिकट पर 2002 में मोरना से राजपाल सैनी विधायक बने थे। इसके बाद वह राज्यसभा सांसद रहे। बेटे शिवान सैनी को 2012 में सपा के टिकट पर खतौली से चुनाव लड़ाया, लेकिन हार गए। इस बार सपा-रालोद गठबंधन से फिर खतौली से ही चुनाव मैदान में उतरने के लिए टिकट मांग रहे हैं।
रालोद के पुराने नेताओं में शामिल पूर्व एमएलसी मुश्ताक चौधरी भी इस बार अपने बेटे नदीम चौधरी के लिए टिकट मांग रहे हैं। चरथावल विधानसभा से नदीम के लिए प्रचार के होर्डिंग लगाए गए हैं। मुश्ताक का परिवार पुराने समय से रालोद से जुड़ा है, लेकिन गठबंधन में सीट सपा के हिस्से में जा सकती है।
भाजपा के एमएलसी वीरेंद्र सिंह अपने बेटे मनीष चौहान को शामली से टिकट दिलाने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। 1980 में वीरेंद्र सिंह कांधला सीट से विधायक चुने गए थे। चार दशक बाद अब वह एमएलसी हैं और बेटे के लिए फील्डिंग लगा रहे हैं।
ऐसे भी कई चेहरे हैं जो अपने पिता के नाम और काम पर टिकट मांग रहे हैं। कैराना से दिवंगत पूर्व मंत्री हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह, मीरापुर से पूर्व सांसद स्वर्गीय संजय सिंह के बेटे चंदन चौहान और शहर सीट से सपा से मंत्री रहे चितरंजन स्वरूप के बेटे गौरव स्वरूप और उनके भाई सौरभ स्वरूप सपा से टिकट मांग रहे हैं।