नई दिल्ली:अगर आप कहीं नौकरी करते हैं और आपका पीएफ जमा होता है, तो ये खबर आपके लिए बेदह जरूरी है. सरकार ने पीएफ से जुड़े नियम में बदलाव किया है. अभी तक पीएफ के कंट्रीब्यूशन या उससे मिलने वाले ब्याज पर कोई टैक्स नहीं था. लेकिन अब 2.5 लाख रुपये से ऊपर कंट्रीब्यूशन पर मिलने वाला ब्याज टैक्स के दायरे में आएगा. यह नियम 1 अप्रैल, 2022 से लागू हो जाएगा. आइए इसके बारे में विस्तार से बताते हैं.

बता दें कि वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2021 में इस बारे में अहम ऐलान किया था. उन्‍होंने कहा था कि ईपीएफ में कर्मचारी के साल में 2.5 लाख रुपये से ज्‍यादा के कॉन्ट्रिब्‍यूशन पर मिलने वाले ब्‍याज पर टैक्‍स लगाया जाएगा. यह नियम 1 अप्रैल से लागू होगा. इस कदम से उन लोगों पर असर पड़ेगा जिनकी इनकम ज्‍यादा है और ईपीएफ में अधिक कॉन्ट्रिब्‍यूट करते हैं. लेकिन, सरकार ने कहा है कि इसका असर ईपीएफ में योगदान करने वाले 1 फीसदी से भी कम लोगों पर पड़ेगा. हालांकि, इस नियम का काफी विरोध हुआ. सरकार ने भी इसकी समीक्षा की. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने पिछले साल 31 अगस्त को एक सर्कुलर जारी करके EPF पर लगने वाले टैक्स के नए नियम की जानकारी भी दे दी.

फाइनेंस एक्ट 2021 में नया प्रावधान जोड़ा गया है. इसमें कहा गया कि अगर कोई कर्मचारी अपने प्रोविडेंट फंड में 1 वित्त वर्ष में 2.5 लाख रुपये से ज्यादा कंट्रीब्यूशन करता है तो 2.5 लाख रुपये के ऊपर जितना निवेश होगा, उस पर मिलने वाला ब्याज टैक्स के दायरे में आएगा. आसान शब्दों में कहें तो किसी ने अगर 3 लाख रुपये का निवेश किया तो अतिरिक्त 50000 रुपये पर मिले ब्याज पर टैक्स लगेगा. हालांकि, ऐसे कर्मचारियों के मामले में, जिनके प्रोविडेंट फंड में कंपनी का कोई कंट्रीब्यूशन नहीं है तो यह लिमिट 2.5 लाख से बढ़कर 5 लाख रुपये होगी. वहीं, केंद्रीय कर्मचारियों के लिए भी यह लिमिट 5 लाख रुपये होगी.

नए नियमों के मुताबिक, अब प्रोविडेंट फंड में दो अकाउंट बनाए जाएंगे. पहला- टैक्सेबल अकाउंट और दूसरा- नॉन-टैक्सेबल अकाउंट. ने इसके लिए रूल 9D को नोटिफाई किया, जिसमें प्रोविडेंट फंड कंट्रीब्यूशन पर मिले ब्याज पर टैक्स की कैलकुलेशन होगी. नए रूल 9D से पता चलता है कि टैक्सेबल ब्याज की गणना कैसे होगी. साथ ही दो अकाउंट को कैसे मैनेज करना होगा और कंपनियों को क्या करना होगा.