मुम्बई। देश में निजीकरण को लेकर सरकार तेजी से आगे बढ़ रही है. अब सरकार जल्दी ही दो सरकारी बैंकों का निजीकरण करने जा रही है. कई कंपनियों के लिए बोलियां भी आना शुरू हो गया है. सूत्रों की मानें तो इस साल सितंबर तक प्राइवेटाइजेशन शुरू हो सकता है. उधर, सरकारी कर्मचारी इसके विरोध में लगातार हड़ताल भी कर रहे हैं.

सरकार बैंकिंग विनियमन अधिनियम में संशोधन करके पीएसयू बैंकों में विदेशी स्वामित्व पर 20 प्रतिशत की सीमा को हटाने की तैयारी में है. बताया जा रहा है कि सरकार ने इसके लिए दो सरकारी बैंक शॉर्ट लिस्टेड भी कर चुके हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो दो सरकारी अधिकारियों ने नाम न बताने की शर्त पर इसकी जानकारी दी कि इस बड़े बदलावों के लिए तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है, लेकिन कैबिनेट की मंजूरी में कुछ समय लग सकता है. मॉनसून सत्र तक इस पर संशोधन होने की संभावना है. सूत्रों ने जानकारी दी है कि सरकार का उद्देश्य सितंबर तक कम से कम एक बैंक का प्राइवेटाइजेशन सुनिश्चित करना है.

गौरतलब है कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्राइवेटाइजेशन पर अपनी तैयारी पूरी कर चुकी है. बताया जा रहा है कि जल्दी ही यह पूरा हो जाएगा. विधायी प्रक्रिया पूरी होने के बाद, विनिवेश पर मंत्रियों का समूह निजीकरण के लिए बैंकों के नामों को फाइनल करेगा।

गौरतलब है है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने चालू वित्त वर्ष के लिए बजट पेश करते हुए वित्त वर्ष 22 में आईडीबीआई बैंक के साथ दो सरकारी बैंकों का निजीकरण की घोषणा की थी. इसके अलावा, नीति आयोग ने प्राइवेटाइजेशन के लिए दो पीएसयू बैंक को शॉर्टलिस्ट भी कर लिया है. लगातार हो रहे विरोध के बावजूद सरकार निजीकरण को लेकर अपना पक्ष पहले ही साफ कर चुकी है. इसके साथ ही वित्त मंत्री ने कहा भी था कि चालू वित्त वर्ष में एक बीमा कंपनी को बेचा जाएगा.

अब सवाल है वे कौन से दो बैंक हो सकते हैं जो सबसे पहले प्राइवेट किये जाएंगे. सूत्रों की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार, निजीकरण के लिए सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक को संभावित उम्मीदवारों के रूप में चुना गया था. यानी इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया वे दो बैंक हैं जिनका निजीकरण सबसे पहले हो सकता है।