नई दिल्ली। कुछ ही दिनों में कोरोना के मामलों में दोगुनी ब़़ढोतरी से देश में तीसरी लहर की आशंका गहरा गई है। नीति आयोग के सदस्य डाक्टर वीके पाल ने जिनोम सिक्वेंसिग की सीमाओं को रेखांकित करते हुए माना कि भारत में बढ़ते मामलों के पीछे ओमिक्रोन वैरिएंट प्रमुख वजह हो सकती है। वहीं आइसीएमआर के महानिदेशक डाक्टर बलराम भार्गव ने टीकाकरण अभियान और दूसरी लहर के दौरान बड़े पैमाने पर फैले संक्रमण का हवाला देते हुए भारत में तीसरी लहर के कम घातक होने की उम्मीद जताई।

अब तक विश्व में जो आंकड़े आ रहे हैं, उसके अनुसार ओमिक्रोन के तेजी से बढ़ते संक्रमण के बावजूद मौत की संख्या लगभग स्थिर बनी हुई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने पिछले कुछ दिनों में दुनिया और भारत में कोरोना संक्रमण के आंक़़डे पेश करते हुए बताया कि फिलहाल भले ही डेल्टा वैरिएंट के मामले अधिक संख्या में आ रहे हों, लेकिन कई देशों में ओमिक्रोन वैरिएंट धीरे-धीरे डेल्टा पर हावी हो रहा है। इस सिलसिले में उन्होंने एक दिन में अमेरिका में पांच लाख 12 हजार, ब्रिटेन में तीन लाख 19 हजार और फ्रांस में दो लाख नए मामलों का हवाला देते हुए इसे कोरोना संक्रमण का अब तक सबसे बड़ा रिकार्ड बताया।

29 दिसंबर को पूरी दुनिया में कोरोना के 17 लाख 17 हजार से अधिक मामले सामने आए। इससे पहले दूसरी लहर के दौरान 23 अप्रैल को नौ लाख चार हजार मामले सामने आए थे। इन देशों में इतने बड़े पैमाने पर मामले आने के पीछे अत्यधिक संक्रामक ओमिक्रोन वैरिएंट को जिम्मेदार माना जा रहा है। देश के भीतर कोरोना संक्रमण के आंकड़े पेश करते हुए लव अग्रवाल ने कहा कि पिछले एक हफ्ते में प्रतिदिन संक्रमितों की संख्या लगभग छह हजार से 13 हजार के आंकड़े को पार गई है। वहीं कई राज्यों में संक्रमण की दर में भी पांच गुना तक बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। इस सिलसिले में उन्होंने महाराष्ट्र, बंगाल, तमिलनाडु, दिल्ली, कर्नाटक और गुजरात का उदाहरण दिया।

महाराष्ट्र में जहां पिछले हफ्ते औसत संक्रमण दर 0.92 प्रतिशत थी, इस हफ्ते ब़़ढकर 2.59 प्रतिशत पहुंच गई। इसी तरह से बंगाल में 1.45 से ब़़ढकर 3.1, तमिलनाडु में 0.58 से ब़़ढकर 0.75, दिल्ली में 0.20 से ब़़ढकर एक, कर्नाटक में 0.31 से ब़़ढकर 0.52 और गुजरात में संक्रमण दर 0.19 से ब़़ढकर 0.54 प्रतिशत हो गई है।

डाक्टर वीके पाल ने आश्वस्त किया कि तेजी से संक्रमण फैलने के बावजूद फिलहाल घबराने की जरूरत नहीं है। उन्होंने लोगों से सिर्फ सावधान रहने की अपील की। डाक्टर बलराम भार्गव ने वैज्ञानिक आंक़़डों का हवाला देते हुए कहा कि भारत में अधिकांश आबादी में हाइब्रिड इम्युनिटी पहले से मौजूद है। उन्होंने बताया कि 90 प्रतिशत वयस्क आबादी को एक डोज और 63.5 प्रतिशत को दोनों डोज टीका लग चुका है। जुलाई में हुए सिरो सर्वे में 67 प्रतिशत आबादी में एंटीबाडी पाई गई थी। डाक्टर भार्गव ने कहा, अध्ययन से साबित हुआ है कि संक्रमण या टीके से बनी इम्युनिटी छह महीने से 13 महीने तक शरीर में मौजूद रहती है। वहीं संक्रमण और टीके से बनी हाईब्रिड इम्युनिटी ज्यादा मजबूत होती है। यह नए संक्रमण को गंभीर होने से बचाने में सक्षम है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 10 जनवरी से हेल्थकेयर वर्कर्स, फ्रंटलाइन वर्कर्स और 60 साल से अधिक उम्र के गंभीर बीमारी ग्रस्त बुजुर्गों के लिए सतर्कता डोज देने का एलान किया था। लेकिन अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि सतर्कता डोज के रूप में पहले लगाई जा चुकी वैक्सीन ही दी जाएगी या फिर नई वैक्सीन लगाई जाएगी। डाक्टर बलराम भार्गव ने कहा कि इस संबंध में एनटागी (नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप आन इम्युनाइजेश)]व अन्य विशेषषज्ञों के साथ लगातार सलाह -मशविरा किया जा रहा है। फैसला जल्द ले लिया जाएगा। देश में मौजूद सभी वैक्सीनों की उपलब्धता और डोज की जरूरत का भी हिसाब लगाया जा रहा है।