नई दिल्ली. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के 5 अगस्त के रेपो रेट में बढ़ोतरी के फैसले के बाद बैंक से कर्ज लेने वाले ग्राहकों पर ईएमआई का बोझ बढ़ गया है. इस फैसला के बाद से ही लगातार अपने कर्ज की ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर रहे हैं. इसके साथ ही बैंक अपने फिक्स्ड डिपॉजिट रेट्स में भी बढ़ोतरी कर रहे हैं. हाल ही देश के प्राइवेट सेक्टर के बैंक आरबीएल बैंक ने अपने MCLR यानी मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लेंडिंग रेट्स में बढ़ोतरी किया है. बैंक के इस फैसले के बाद से कस्टमर्स को अब ज्यादा ईएमआई देना होगा. बैंक नई MCLR रेट्स 22 अगस्त 2022 से लागू हो चुकी है.
बैंक की ऑफिशियल वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार बैंक के बेंचमार्क रेट में कुल 1.2% की बढ़ोतरी हुई है. पहले यह 8.05% था जो अब बढ़कर 9.25% हो गया है. इसके साथ ही बैंक का ओवरनाइट पीरियड लोन अब 8.05% हो गया है. यह पहले 7.85% था. इसके साथ ही एक महीने का एमसीएलआर 8.15% हो गया है. इससे पहले यह 7.95% प्रतिशत था. वहीं बैंक के तीन महीना का MCLR रेट 8.25% से बढ़कर 8.45% हो गया है. इसके साथ ही 6 महीने का MCLR रेट 8.65% से बढ़कर 8.85% हो गया है. वहीं एक साल के लोन का MCLR रेट 9.25% है. बता दें कि यह पहले 9.05% था.
आपको बता दें कि मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लैंडिंग रेट में बढ़ोतरी के साथ ही कस्टमर्स पर कर्ज का बोझ ज्यादा बढ़ता है. इसके पीछे का कारण यह है कि बैंक MCLR रेट के मुताबिक ही अपनो लोन की ब्याज दरों को तय करते हैं. इसके आधार पर ही बैंक की ईएमआई तय होती है. रिजर्व बैंक के रेपो रेट में बदलाव के साथ ही बैंकों के MCLR रेट में बदलाव होता है. इसके बाद ही यह तय होता है कि बैंक की ब्याज दरों में कितना बदलाव होगा और ग्राहकों को कितना ज्यादा ईएमआई देना होगा.
गौरतलब है कि देश में बढ़ती महंगाई को देखते हुए लगातार तीसरी बार रिजर्व बैंक ने अपने रेपो रेट में बढ़ोतरी की है. केंद्रीय बैंक का रेपो रेट फिलहाल 5.40% है. ऐसे में इसका सीधा असर कर्ज लेने वाले ग्राहकों पर पड़ा है. पिछले कुछ समय में कई कई बैंकों ने अपने कर्ज की ब्याज दरों में इजाफा किया है. इसमें स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, केनरा बैंक आदि जैसे कई बैंक शामिल हैं. इसके साथ फिक्स्ड डिपॉजिट रेट्स और सेविंग बैंक अकाउंट की ब्याज दरों में भी लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है.