नई दिल्ली: हमारे मानव शरीर को संचालन के लिए रक्त यानी खून की आवश्यक्ता होती है. आमतौर पर तो हम सभी ने A, B, AB, 0+ और निगेटिव जैसे कई ब्लड ग्रुप्स के बारे में सुना होगा. लेकिन एक ब्लड ग्रुप ऐसा भी है जिसके बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं है. इसे काफी लोगों के शरीर में पाया जाता है इसलिए इसे गोल्डन ब्लड भी कहा जाता है. आइए जानते हैं गोल्डन ब्लड के बारे में…
क्या होता है ये गोल्डन ब्लड?
इसका असली नाम आरएच नल है. सबसे रेयर होने की वजह से शोध कर रहे वैज्ञानिकों ने इसे गोल्डन ब्लड नाम दिया है. यह खून बेशकीमती होता है क्योंकि इसे किसी भी ब्लड ग्रुप पर चढ़ाया जा सकता है. यह हर ब्लड ग्रुप के साथ आसानी से मैच हो जाता है. यह सिर्फ उन्हीं लोगों के शरीर में पाया जाता है, जिनका Rh फैक्टर null होता है, यानी Rh-null.
क्या होता है Rh फैक्टर?
Rh Factor लाल रक्त कोशिकाओं की सतह पर पाया जाने वाला एक विशेष प्रोटीन है. अगर यह प्रोटीन RBCमें मौजूद है तो ब्लड Rh+ Positive होता है. इसके उलट अगर प्रोटीन उपस्थित नही है तो ब्लड Rh- Negative होगा. इस प्रोटीन को RhD एंटीजन भी कहते है. लेकिन इस खास ब्लड ग्रुप वाले लोगों में Rh फैक्टर ना ही पॉजिटिव होता है और ना ही निगेटिव वो Null होता है.
एंटीजन रहित खून
कई लोगों को गोल्डन ब्लड की ज्यादा जानकारी नहीं है. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस ब्लड ग्रुप में किसी भी तरह का एंटीजन नहीं पाया जाता है. यूएस रेयर डिसीज इन्फॉर्मेशन सेंटर के अनुसार, गोल्डन ब्लड ग्रुप एंटीजन से रहित होता है इसलिए जिन लोगों के शरीर में यह खून होता है, उन्हें एनीमिया की शिकायत हो सकती है. यही वजह है कि ऐसे लोगों की जानकारी होते ही डॉक्टर उन्हें डाइट पर खास ध्यान देने और आयरन वाली चीजों का ज्यादा से ज्यादा सेवन करने की सलाह देते हैं.
सिर्फ इतने लोगों के पास है गोल्डन ब्लड
बिगथिंक की एक रिसर्च के मुताबिक साल 2018 तक यह गोल्डन ब्लड सिर्फ 43 लोगों में पाया गया था. इनमें ब्राजील, कोलंबिया, जापान, आयरलैंड और अमेरिका के लोग शामिल हैं. आपको बता दें इनका खून तो किसी को भी चढ़ाया जा सकता है लेकिन अगर इनको ब्लड की जरूरत हो तो इन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
इसलिए सहेजा जाता है गोल्डन ब्लड
जैसा कि हमने बताया कि यह खास ब्लड सिर्फ 43 लोगों में पाया गया है तो स्वाभाविक है कि उनका डोनर ढूंढना भी मुश्किल है. साथ ही यह खून ऐसा है कि इंटरनेशनल लेवल पर ट्रांसपोर्ट करना भी मुश्किल है. इसलिए इस खून के साथ जीने वाले लोग समय-समय पर अपने खून का दान करते रहते हैं. ताकि वह ब्लड बैंक में जमा रहे. इसे किसी और को नहीं दिया जाता. जरूरत पड़ने पर उन्हें खुद ही यह खून दिया जाता है.