नई दिल्ली: सिंघाड़ा, जिसे जलीय अखरोट के नाम से भी जाना जाता है, न केवल हमारे स्वास्थ्य के लिए वरदान है, बल्कि किसानों के लिए भी ये अच्छी कमाई का जरिया बन चुका है. जल में उगाई जाने वाली ये खास फसल सही देखभाल और आधुनिक तकनीकों के साथ किसानों को शानदार पैदावार और मुनाफा देती है. अगर किसान सिंघाड़े की खेती में कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखें, तो वे न केवल उच्च गुणवत्ता का उत्पादन कर सकते हैं, बल्कि अपनी आय को भी कई गुना बढ़ा सकते हैं.

सिंघाड़े की फसल पानी में उगाई जाती है, इसलिए पानी का सही स्तर बनाए रखना बेहद जरूरी है. विशेषज्ञों के अनुसार, पानी की गहराई 2-3 फीट होनी चाहिए, जिससे पौधों को उचित पोषण मिल सके.इसके अलावा, पानी की सतह स्वच्छ और साफ होनी चाहिए. पानी की गुणवत्ता सीधे फसल की उपज और गुणवत्ता को प्रभावित करती है. सिंघाड़े की खेती के लिए रासायनिक उर्वरकों की बजाय गोबर और जैविक खाद का प्रयोग अधिक फायदेमंद होता है.

फसल की बेहतरीन पैदावार के लिए फास्फोरस और पोटाश जैसे उर्वरकों का संतुलित उपयोग करना चाहिए. इन पोषक तत्वों की सही मात्रा पौधों की जड़ों को मजबूत बनाती है और बेहतर फलन सुनिश्चित करती है.सिंघाड़े की फसल को कीटों और बीमारियों से बचाने के लिए नियमित रूप से निरीक्षण करना अनिवार्य है. किसानों को जैविक कीटनाशकों का इस्तेमाल करना चाहिए, ताकि फसल को बिना रासायनिक प्रभाव के स्वस्थ रखा जा सके. जैविक कीटनाशक न केवल फसल की सुरक्षा करते हैं, बल्कि पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित होते हैं, जिससे फसल अधिक प्राकृतिक और शुद्ध रहती है.

सिंघाड़े की फसल को सही समय पर काटना बेहद जरूरी है. जब सिंघाड़े का रंग गहरा हो जाए और उसकी त्वचा थोड़ी कठोर हो, तभी इसे काटा जाना चाहिए. जल्दी कटाई करने से फसल का आकार छोटा रह सकता है, वहीं देर से कटाई करने पर उसकी गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है.सिंघाड़े की फसल में जल निकासी की उचित व्यवस्था करना भी बेहद जरूरी है. अगर खेतों में पानी का जमाव हो जाए, तो फसल प्रभावित हो सकती है. इसके साथ ही, फसल क्षेत्र को साफ और कीट-मुक्त रखना चाहिए, जिससे रोगों का प्रकोप कम हो और फसल स्वस्थ बनी रहे.