आगरा।  उत्तर प्रदेश के आगरा जिला नकली और नशे की दवाओं की मंडी बन चुका है। दवाओं के काले कारोबार का नेटवर्क तोड़ने में पुलिस के साथ एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स भी फेल है। एक साल पहले जगदीशपुरा और सिकंदरा में नकली दवाओं की दो फैक्टरी पकड़ी गईं। बांग्लादेश तक दवाओं की सप्लाई की बात सामने आई। पुलिस ने आठ आरोपियों को जेल भेजा। मगर, नेटवर्क से जुड़े अन्य किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी। यही वजह है कि यह धंधा फिर से फलने फूलने लगा है।

दो दिन पहले हापुड़ के पिलुखवा के टेक्सटाइल सेंटर स्थित फैक्टरी में नकली दवाओं का जखीरा पकड़ा गया। इनमें एंटीबायोटिक, बुखार, दर्द निवारक दवाएं शामिल थीं। जांच में नकली दवाओं के तार आगरा से जुड़े मिले। आगरा के सप्लायर से दवाएं खरीदी जा रही थीं। हापुड़ पुलिस पड़ताल में लगी है।

दूसरा मामला पंजाब के होशियारपुर में पकड़ा गया। आगरा का राहुल यादव वहां नशे की दवाओं की खेप भेज रहा था। दवा माफिया अजय वालिया की गिरफ्तारी के बाद यह खुलासा हुआ। पूर्व में पंजाब पुलिस कई बार आगरा में दबिश दे चुकी है। दवा व्यापारियों पर कार्रवाई की गई। मगर, यह रुकने का नाम नहीं ले रहा है।

जुलाई 2023 में दो फैक्टरी में पुलिस और एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स की टीम ने छापा मारा था। सिकंदरा और जगदीशपुरा में नकली दवाएं बन रही थीं। चार करोड़ से अधिक की दवाएं बरामद की गई थीं। एक करोड़ रुपये के उपकरण भी जब्त किए गए थे। चार लोग मौके पर पकड़े थे। बाद में चार और पकड़ लिए गए। सरगना विजय गोयल था।

पूछताछ में पता चला था कि उत्तराखंड से रॉ-मैटेरियल लाने के बाद पश्चिम बंगाल होते हुए दवाओं को बांग्लादेश तक भेजा जाता है। इसके बावजूद पुलिस टीम न तो सप्लायर पकड़ सकी और न ही दवाओं के खरीदार पकड़े गए। कार्रवाई के नाम पर सिर्फ कागजी खानापूर्ति ही हुई।

शहर में नकली और नशे की दवाएं तो बड़ी मात्रा में मिल रही हैं। इसके साथ ही गृहस्थी के सामान से लेकर खाद्य पदार्थ तक नकली पकड़े जा चुके हैं। एत्माद्दौला और छत्ता क्षेत्र में बड़ी मात्रा में नकली मोबिल ऑयल का कारोबार पकड़ा गया था। इसके अलावा कंपनी के नाम से नकली जूते, अंडरगारमेंट, दूध, घी, तेल, सीमेंट, खाद, सैनिटाइजर, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, ऑटो पार्ट्स, सर्जिकल सामान बिकते पकड़े जा चुके हैं।

दुकानों पर बिकने वाले इन सामानों को स्थानीय स्तर पर पुलिस प्रशासन नहीं पकड़ पाता है। जिन कंपनी के माल होते हैं, वहीं उनको पकड़ती हैं। मुकदमे भी लिखे जाते हैं। मगर, सख्त कार्रवाई न होने के कारण इस धंधे पर रोक नहीं लग पा रही है।

आगरा में नशे की दवाओं के मामले में कई बार दिल्ली, पंजाब और राजस्थान पुलिस दबिश दे चुकी है। फव्वारा बाजार से दवा व्यापारियों को गिरफ्तार कर चुकी है। इसके बावजूद स्थानीय स्तर पर पुलिस और स्वास्थ्य विभाग को कोई जानकारी नहीं हो पाती है। जब तक पता चलता है, आरोपियों को पुलिस टीम अपने जिले में लेकर चली जाती है।