नई दिल्ली. भारत निवेशकों और अन्य देशों के लिए अब एक पसंदीदा देश बनता जा रहा है. इसका कारण रुपये में स्थिरता, नियंत्रित महंगाई, स्थिर ब्याज दर और पिछले लंबे समय से अचानक कोई नीतिगत व्यवधान उत्पन्न न होना है. साथ ही मौजूदा नरेंद्र मोदी सरकार ने रेवड़ी कल्चर की बजाय देश के मूलभूत ढांचे को विकसित करने का रास्ता चुना. इसी वजह से भारत आज विकास का अगुवा बन गया है. यह कहना है एक्सिस कैपिटल के पूर्णकालिक डायरेक्टर और ग्लोबल रिसर्च हेड नीलकंठ मिश्रा का.
मनीकंट्रोल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए नीलकंठ मिश्रा ने सीएनबीसी टीवी18 को दिए एक साक्षात्कार में भारत में विदेशी निवेश, वित्तीय अनुशासन और जी20 समिट सहित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी बात रखी.
नीलकंठ मिश्रा ने कहा कि भारत ने पिछले कुछ वर्षों में उल्लेनीय विकास किया है. भारत में पिछले पांच सालों में कुछ महत्वपूर्ण मोर्चों पर आई स्थिरता से निवेशकों और अन्य देशों के लिए भारत एक आकर्षक डेस्टिनेशन बन गया है. भारत की करंसी रुपया लंबे समय से लगभग स्थिर है और महंगाई भी काबू में है. साथ ही लंबे समय से कोई भी ऐसा मौका नहीं आया जब भारत में कोई अचानक ही नीतिगत बदलाव हुआ हो. यह व्यापक आर्थिक स्थिरता मौद्रिक नीति समिति (MPC) और सरकार का एक लक्ष्य है. इसी स्थिरता से देश की एक मजबूत छवि विदेशों में तो बनी ही, निवेशकों को भरोसा भी भारत पर बढ़ा है.
नीलकंठ मिश्रा का कहना है कि अगर सरकार स्थिरता के इस मार्ग से भटककर अगर रेवड़ी कल्चर को अपनाती और लोकलुभावन फ्री स्कीम्स चलाती तो इसका नतीजा ऊंची मुद्रास्फीति और कमजोर करंट अकाउंट के रूप में सामने आता. वित्तीय अनुशासहीनता के कारण ही ये सारे परिणाम हम अमेरिका में देख चुके हैं. मोदी सरकार का सरकार का लक्ष्य बुनियादी ढांचे के विकास जैसी जीडीपी को बढ़ावा देने वाली परियोजनाओं में निवेश करके COVID-19 महामारी के दौरान हुए हाई-डेट-टू-जीडीपी रेश्यो को कम करना है न कि अल्पकालिक उपभोग को बढ़ावा देना.
नीलकंठ मिश्रा ने भारत में हो रही जी20 समिट को भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि बताया है. उन्होंने कहा, “जब आप जी20 समिट की मेजबानी करते हैं तो आप एजेंडा निर्धारित करते हैं. हालांकि विरोध या असहमति हो सकती है, लेकिन ये बैठकें हमारे बाज़ारों की तुलना में तेज़ी से बदलाव लाती हैं.” मिश्रा का कहना है कि इस स्तर पर भारत का नेतृत्व हमें क्रिप्टो परिसंपत्तियों और जलवायु वित्तपोषण जैसे वैश्विक मुद्दों को प्रभावित करने का मंच प्रदान करता है. इन दीर्घकालिक परिवर्तनों का निकट भविष्य में हमारी अर्थव्यवस्था पर जरूर प्रभाव पड़ेगा.
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