नई दिल्ली। स्मार्टफोन कंपनियां और उद्योग संगठन बुधवार को उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे, जिसमें यूरोप के अनुरूप सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए एक सामान्य चार्जिंग पोर्ट होने का विकल्प तलाशा जाएगा. विशेषज्ञों का कहना है कि इस कदम से कंज्यूमर्स को बड़े पैमाने पर फायदा होगा लेकिन फीचर फोन निर्माताओं के लिए उच्च लागत और स्मार्टफोन प्रमुख ऐप्पल पर असर पड़ेगा. उद्योग के अधिकारियों के अनुसार, सरकार लैपटॉप, स्मार्टफोन, फीचर फोन और IoT (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) डिवाइस सहित सभी मोबाइल उपकरणों में सिंगल चार्जिंग पोर्ट – USB Type-C रखने का विकल्प तलाश रही है. बैठक में शामिल होने वाले उद्योग के अधिकारी सरकार को इस कदम के फायदे और नुकसान से अवगत कराएंगे.

इस कदम से कंज्यूमर्स को सबसे अधिक लाभ होगा, क्योंकि वर्तमान में उन्हें अपने मोबाइल उपकरणों के लिए कई चार्जिंग केबल ले जाने होंगे. लैपटॉप, ऐप्पल डिवाइस और एंड्रॉइड स्मार्टफोन के लिए अलग-अलग चार्जिंग केबल हैं, जो अक्सर कंज्यूमर्स को डिवाइस के चार्ज होने पर विशिष्ट चार्जर की तलाश में ले जाते हैं.

हालांकि, डिवाइस निर्माताओं के लिए एक कॉमन स्टेंडर्ड्स को लागू करने में कठिन समय होगा, क्योंकि प्रत्येक के लिए चार्जिंग स्टेंडर्ड अलग-अलग होते हैं. इस कदम से एंड्रॉइड स्मार्टफोन पर उतना असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि ज्यादातर एंड्रॉइड स्मार्टफोन चार्जिंग के लिए यूएसबी-सी पोर्ट का इस्तेमाल करते हैं.

हालांकि, फीचर फोन जो माइक्रो-यूएसबी स्टेंडर्ड, बजट और हाई-एंड गेमिंग लैपटॉप पर भरोसा करते हैं, जो अपने उपकरणों को पावर ड्राइव करने के लिए मालिकाना चार्जिंग मानकों पर भरोसा करते हैं, साथ ही आईओटी डिवाइस, जो लीगेसी पोर्ट पर निर्भर हैं. उनके लिए काफी मुश्किल होने वाला है. क्योंकि इससे डिवाइस का डिजाइन भी बदल जाएगा.