नई दिल्ली। पिछले कुछ सालों में देश में धडाधड एक्सप्रेस वे ओर हाईवे बनें हैं तो इन पर टोल के जरिए जनता से भारी भरकम पैसे की वसूली भी हो रही है, लेकिन अब कईं स्थानों पर टोल एजेंसियां भी लोगों की जेब ढीली करने का काम कर रही है। कुछ स्थानों पर टोल एजेंसियां लोगां को 12 घंटे में वापसी करने के बावजूद भी छूट का लाभ न देकर पूरा पैसा वसूल रही हैं। अब एनएचएआई ने इस मामले में कडी कार्यवाही की तैयारी की है।

कई हाईवे और एक्सप्रेसवे पर टोल कंपनियां 24 घंटे के अंदर लौटने वाले वाहन स्वामियों को छूट का लाभ नहीं दे रही हैं। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) के पास ऐसे मामलों की शिकायत बढ़ी है। एनएचएआई ने प्रारंभिक जांच के बाद ऐसे कुछ मामलों को पकड़ा है। इसके बाद कंपनियों को वाहन मालिकों को पैसे लौटाने के निर्देश दिए गए हैं।

दरअसल, नियमों के तहत अगर कोई व्यक्ति किसी टोल टैक्स से 24 घंटे के अंदर वापसी भी करता है तो उसे निर्धारित टोल शुल्क का आधा ही देना होता हैं। मगर कई हाइवे और एक्सप्रेसवे टोल कंपनियां वाहन मालिकों को यह छूट नहीं दे रही हैं।

हैरत की बात है कि फास्टैग कंपनियां भी ऐसे मामलों को निस्तारण नहीं कर रही हैं। वाहन स्वामी की तरफ से शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद भी उन्हें बिना किसी तर्क के खारिज कर दिया जा रहा है।

19 सितंबर की सुबह 07ः17 बजे कार संख्या यूपी14 डीएस8448 ने दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे स्थित कासी टोल प्लाजा पार किया। उसके बाद शाम 07ः29 बजे कार वापस लौटी। जाते वक्त भी कार के फास्टैग से 70 रुपये का शुल्क काटा गया और लौटते समय भी 70 रुपये का शुल्क ही काटा गया, जबकि नियमानुसार लौटते वक्त टोल शुल्क 35 रुपये (आधा) लगना चाहिए था।

वाहन चालक ने इसकी शिकायत टोल कंपनी से की, मगर कंपनी ने जांच के बाद शिकायत खारिज कर दी। इसके बाद दोबारा शिकायत की गई तो एनएचएआई की टीम ने जांच की तो पता चलता कि काफी सारे मामलों में ऐसा हो रहा है।

दिल्ली से मुजफ्फरनगर के बीच 15 अक्तूबर को एक गाड़ी गई। वाहन चालक दोपहर 12ः39 बजे दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे से गया और शाम को साढ़े सात बजे वापस लौटा। इस दौरान दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के कासी और मेरठ-हरिद्वार नेशनल हाईवे के सिवाया टोल प्लाजा पर बिना कोई छूट दिए टोल काटा गया।

सिवाया पर दोनों तरफ से 110-110 तो कासी टोल प्लाजा पर 70-70 रुपये का शुल्क काटा गया। इसी तरह से दिल्ली से रोहतक के बीच सफर करने वाले विवेक सिंह की कार से सात अक्तूबर को बिना किसी छूट के दोनों तरफ से पूरा शुल्क काटा गया, जबकि गाड़ी आठ घंटे में रोहतक से वापस लौट आई थी।

लोगों के सामने असल दिक्कत इस बात को लेकर है कि उन्हें शिकायत करने के बाद भी कोई समाधान नहीं मिल रहा है। एनएचएआई की हेल्पलाइन नंबर 1033 पर कॉल करने के बाद कहा जाता है कि आप अपने बैंक या उस कंपनी की हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कराएं, जिसके द्वारा फास्टैग जारी किया गया है।

उसके बाद लोग बैंक में शिकायत दर्ज कराते हैं तो बैंक की तरफ से जानकारी दी जाती है कि एनएचएआई की टोल कंपनी का कहना है कि निर्धारित शुल्क काटा गया, इसलिए आपको पैसा वापस नहीं लौटाया जा सकता है।

लगातार बढ़ रही शिकायतों और लोगों की परेशानी को देखते हुए एनएचएआई ने अपने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे टोल कंपनी के फास्टैग ट्रांजेक्शन की औचक जांच करें। उसमें देखें कि कितनी गाड़ियां 24 घंटे के अंदर वापस लौटी हैं और उनसे कितना शुल्क काटा गया है।

अगर ऐसा नियमित तौर पर किया जा रहा है तो फिर टोल कंपनी के खिलाफ सीधे कार्रवाई के लिए लिखें। अगर चुनिंदा मामलों में ऐसा हुआ है या फिर किसी एक दिन ऐसा हुआ है तो टोल कंपनी को तत्काल निर्देश दें कि वह उन सभी वाहनों का टोल शुल्क वापस करें जो ज्यादा काटा गया है। इस फैसले के बाद कुछ मामलों में गड़बड़ी मिली है, जिसमें सात दिन के अंदर टोल शुल्क वापस करने को कहा गया है।

सूत्रों का कहना है कि कुछ टोल प्लाजा पर देखा गया है कि ऐसी गाड़ियां जो नियमित तौर पर आना-जाना नहीं करती हैं और 24 घंटे में टोल से वापस करती है, उनमें से काफी से बिना छूट के साथ टोल काट लिया गया है।

हालांकि, इसमें आगे की जांच की जा रही है। एनएचएआई के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि हम ऐसे मामलों की अब औचक जांच करा रहे हैं। कुछ टोल प्लाजा को लेकर ज्यादा शिकायतें हैं। अगर जानबूझकर ऐसा किया जा रहा है तो टोल कंपनी को हटाने तक की कार्रवाई की जाएगी।