लखनऊ ।यूपी के कई जिलों में इन दिनों भेड़ियों का कहर है। डर का आलम यह है कि दहशत में लोग भेड़िए के बदले सियार को मार दे रहे हैं। क्या आप जानते हैं कि दोनों में मुख्य रूप से किस बात का फर्क होता है।
अवध और तराई क्षेत्र में भेड़िये और सियार जैसे जंगली जानवरों के हमले थमने का नाम नहीं ले रहे। हालात ऐसे हो गए हैं कि दहशतजदा लोग भेड़िये के चक्कर में सियार को मार दे रहे हैं। आम लोगों को तो छोड़िए वन विभाग के अधिकारी भी ये तय नहीं कर पा रहे कि हमला करने वाला भेड़िया है या सियार। इस गफलत से लोगों को उबारने के लिए अमर उजाला ने भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) के वैज्ञानिक डॉ. शहीर खान से बात की।
डॉ. खान बताते हैं कि भेड़िये और सियार के रंग-रूप को देखकर ही अंतर किया जा सकता है। भेड़िये सियार के मुकाबले बड़े होते हैं। उनके रंग में भी अंतर होता है। हालांकि, अभी यह अध्ययन नहीं हो पाया है कि भारतीय भेड़ियों के दौड़ने की रफ्तार कितनी होती है। वे एक दिन में 15-20 किमी सफर कर लेते हैं।
डॉ. खान बताते हैं कि जहां बाघ 20-40 किमी का दायरा कवर करता है और भेड़ियों के झुंड का दायरा 250 वर्ग किमी तक रहता है। वहीं, सियार महज 2-10 वर्ग किमी के दायरे में सीमित रहते हैं। वे एक दिन में ज्यादा से ज्यादा 3-5 किमी चलते हैं।
भेड़िये सियार से आकार में बड़े होते हैं। भेड़िये के पैर, पूंछ और थूथन सियार से लंबे होते हैं। भेड़िये के मौसमी कोट (बाल) का रंग गहरे से हल्का भूरा होता है। बीच-बीच में सिलेटी रंग होता है। भेड़िया सुविकसित व्यवस्था वाला जानवर है। ये परिवार में रहते हैं। भेड़िये मांसाहारी होते हैं और मध्यम आकार के जानवरों का शिकार करते हैं। भेड़िये मांद का इस्तेमाल प्रजनन के बाद 3-4 महीने तक ही करते हैं।
सियार का कोट गेहूंआ-पीला होता है। हालांकि, कुछ इलाकों में इसके कोट का रंग भेड़िये जैसा हो सकता है। सियार झुंड में या जोड़े में रहते हैं। सियार पौधे और छोटे जानवर दोनों खाते हैं। सियार पूरे साल मांद में रह सकते हैं।
जानवरों की दुनिया में लोमड़ी सबसे ज्यादा चतुर और चालाक जानवर होता है। लोमड़ी भी कुत्ते की ही प्रजाति की एक नस्ल है। लोमड़ी अधिकतर अकेले रहना पसंद करती है। लोमड़ी की चालाकियों के किस्से हम अपने मुंहावरे में प्रयोग करते हैं। अधिकतर जगंल, पहाड़ों पर होने वाले घास के मैदान और रेगिस्तान के साथ बर्फीली जगहों पर भी लोमड़ी रहती हैं। लोमड़ी आकार छोटा होता है।
यूपी के कई जिलों में इन दिनों भेड़ियों का कहर है। डर का आलम यह है कि दहशत में लोग भेड़िए के बदले सियार को मार दे रहे हैं। क्या आप जानते हैं कि दोनों में मुख्य रूप से किस बात का फर्क होता है।
अवध और तराई क्षेत्र में भेड़िये और सियार जैसे जंगली जानवरों के हमले थमने का नाम नहीं ले रहे। हालात ऐसे हो गए हैं कि दहशतजदा लोग भेड़िये के चक्कर में सियार को मार दे रहे हैं। आम लोगों को तो छोड़िए वन विभाग के अधिकारी भी ये तय नहीं कर पा रहे कि हमला करने वाला भेड़िया है या सियार। इस गफलत से लोगों को उबारने के लिए अमर उजाला ने भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) के वैज्ञानिक डॉ. शहीर खान से बात की।
डॉ. खान बताते हैं कि भेड़िये और सियार के रंग-रूप को देखकर ही अंतर किया जा सकता है। भेड़िये सियार के मुकाबले बड़े होते हैं। उनके रंग में भी अंतर होता है। हालांकि, अभी यह अध्ययन नहीं हो पाया है कि भारतीय भेड़ियों के दौड़ने की रफ्तार कितनी होती है। वे एक दिन में 15-20 किमी सफर कर लेते हैं।
डॉ. खान बताते हैं कि जहां बाघ 20-40 किमी का दायरा कवर करता है और भेड़ियों के झुंड का दायरा 250 वर्ग किमी तक रहता है। वहीं, सियार महज 2-10 वर्ग किमी के दायरे में सीमित रहते हैं। वे एक दिन में ज्यादा से ज्यादा 3-5 किमी चलते हैं।
भेड़िये सियार से आकार में बड़े होते हैं। भेड़िये के पैर, पूंछ और थूथन सियार से लंबे होते हैं। भेड़िये के मौसमी कोट (बाल) का रंग गहरे से हल्का भूरा होता है। बीच-बीच में सिलेटी रंग होता है। भेड़िया सुविकसित व्यवस्था वाला जानवर है। ये परिवार में रहते हैं। भेड़िये मांसाहारी होते हैं और मध्यम आकार के जानवरों का शिकार करते हैं। भेड़िये मांद का इस्तेमाल प्रजनन के बाद 3-4 महीने तक ही करते हैं।
सियार का कोट गेहूंआ-पीला होता है। हालांकि, कुछ इलाकों में इसके कोट का रंग भेड़िये जैसा हो सकता है। सियार झुंड में या जोड़े में रहते हैं। सियार पौधे और छोटे जानवर दोनों खाते हैं। सियार पूरे साल मांद में रह सकते हैं।
जानवरों की दुनिया में लोमड़ी सबसे ज्यादा चतुर और चालाक जानवर होता है। लोमड़ी भी कुत्ते की ही प्रजाति की एक नस्ल है। लोमड़ी अधिकतर अकेले रहना पसंद करती है। लोमड़ी की चालाकियों के किस्से हम अपने मुंहावरे में प्रयोग करते हैं। अधिकतर जगंल, पहाड़ों पर होने वाले घास के मैदान और रेगिस्तान के साथ बर्फीली जगहों पर भी लोमड़ी रहती हैं। लोमड़ी आकार छोटा होता है।