यूपी। योगी सरकार नए साल में यूपी के बिजली उपभोक्‍ताओं को तगड़ा झटका दे सकती है. राजस्‍व की कमी को पूरा करने के लिए सरकार बिजली की दरों में 18 से लेकर 23 फीसदी तक बढ़ोतरी की तैयारी में है. इस बाबत बिजली कंपनियों ने एक प्रस्‍ताव भी विद्युत नियामक आयोग को सौंपा है, जिसमें बिजली की औसत दर 15.85 फीसदी बढ़ाने का सुझाव दिया है. इससे पहले आयोग ने 92,547 करोड़ रुपये के राजस्‍व की जरूरत बताई थी.

बिजली कंपनियों की ओर से सौंपे गए प्रस्‍ताव में घरेलू उपभोक्‍ताओं की बिजली दरों में 18 से 23 फीसदी की बढ़ोतरी करने, जबकि उद्योगों के लिए 16 फीसदी और खेती-किसानी के लिए 10 से 12 फीसदी बिजली की दर बढ़ाने का सुझाव है. सरकार ने एक किलोवॉट बिजली लोड और हर महीने 100 यूनिट तक बिजली खर्च करने वाले उपभोक्‍ताओं के लिए दरें 17 फीसदी बढ़ाने की बात कही है.

वाणिज्यिक उपभोक्‍ताओं के लिए बिजली की दर 12 फीसदी बढ़ाने का प्रस्‍ताव है. सभी श्रेणी के वाणिज्यिक उपभोक्‍ताओं की बिजली दरें 1 रुपये प्रति यूनिट बढ़ाए जाने का प्रस्‍ताव है. बिजली वितरण कंपनियों ने 14.9 फीसदी का नुकसान दिखाया है और कहा है कि आयोग के लिए जरूरी राजस्‍व पूरा करने के लिए दरों में बढ़ोतरी करना जरूरी है.

अभी लाइफ लाइन घरेलू उपभोक्‍ताओं के लिए 100 यूनिट तक बिजली पर फिक्‍स चार्ज 50 रुपये और दर 3 रुपये प्रति यूनिट है. प्रस्‍ताव में फिक्‍स चार्ज 55 रुपये और दर 3.50 रुपये प्रति यूनिट रखी है. सामान्‍य उपभोक्‍ताओं के लिए 100 यूनिट तक फिक्‍स चार्ज 90 रुपये और दर 3.35 रुपये प्रति यूनिट है, जिसे फिक्‍स चार्ज 100 रुपये और दर 4.35 रुपये बढ़ाने का प्रस्‍ताव दिया गया है. 101 से 150 यूनिट तक अभी सरर्चाज 90 रुपये है, जिसे 100 रुपये किया जाएगा. वहीं, दर 3.85 रुपये प्रति यूनिट से बढ़ाकर 4.85 रुपये करने का प्रस्‍ताव है.

शहरी क्षेत्र में लाइफ लाइन उपभोक्‍ताओं को 100 यूनिट तक के लिए 3 रुपये यूनिट देना पड़ता है, जिसे 3.50 रुपये किया जाएगा और फिक्‍स चार्ज 50 रुपये से बढ़ाकर 55 रुपये कर दिया जाएगा. शहरी क्षेत्र के सामान्‍य उपभोक्‍ताओं के लिए बिजली की वर्तमान दर 5.50 रुपये प्रति यूनिट है, जिसे 6.50 रुपये किया जाएगा और फिक्‍स चार्ज 110 रुपये से बढ़ाकर 120 रुपये करने का प्रस्‍ताव है.

यूपी राज्‍य विद्युत उपभोक्‍ता परिषद के अध्‍यक्ष अवधेश कुमार ने बिजली दरों में बढ़ोतरी के प्रस्‍ताव का विरोध किया है. उन्‍होंने कहा कि बिजली कंपनियों पर उपभोक्‍ताओं का 25,133 करोड़ रुपये ज्‍यादा निकल रहा है. लिहाजा बिजली की दरें सालभर के लिए एकमुश्‍त 35 फीसदी घटाई जानी चाहिए या फिर अगले पांच वर्ष तक सालाना 7 फीसदी की कटौती की जाए.