उन्नाव। National Farmers Day 2022 निराशा का अंधकार जब छा जाए तो कहीं न कहीं से उम्मीद की किरण भी फूटती है। परंपरागत खेती से किसी तरह घिसटती जिंदगी में निराशा का अंधेरा गहराने लगा तो बीघापुर ब्लाक के गांव बैजनाथ खेड़ा निवासी महिला किसान किरन को पूर्व जिला पंचायत सदस्य शिव सिंह से मिला शुद्ध सिरका तैयार करने का सुझाव उम्मीद की किरण सरीखा लगा। पति सुरेश बाबू वर्मा को राजी किया और पास के कोल्हू से दो ड्रम गन्ने का रस खरीद लाईं।
साढ़े तीन माह में बदली कहानी: साढ़े तीन माह तक बंद करके धूप में रखे इन दो ड्रम को जब उन्होंने खोला तो उनके हाथ समृद्धि का खजाना लग गया। दस वर्ष पहले की इस पहल से आज उनके परिवार की दशा बदल चुकी है। छोटी बेटी आयुषी के नाम पर इस सिरके की ब्रांडिंग करके वह इसे हरियाणा और पंजाब तक भेज रही हैं। आज जैविक सिरके का उनका 10 लाख रुपये सालाना का कारोबार है। सिरका बेचने कहीं जाना नहीं पड़ता, घर से ही बिक जाता है।
राष्ट्रीय आजीविका मिशन से मिली सहायता: इंटरमीडिएट उत्तीर्ण सुरेश और हाईस्कूल तक पढ़ीं किरन सिरका तैयार करने के लिए राष्ट्रीय आजीविका मिशन से जुड़ीं। 1.20 लाख रुपये का ऋण लेकर काम को व्यावसायिक रूप दिया। मिशन ने बाजार भी उपलब्ध करा दिया। वर्तमान में प्रतिवर्ष 10 से 12 हजार लीटर जैविक सिरका तैयार करती हैं। 750 मिली लीटर की बोतल 80 तो पांच लीटर सिरका 450 रुपये में बिकता है। किरन ने 15 महिलाओं का समूह भी अपने साथ जोड़ा जो सिरका तैयार करने से लेकर पैकिंग तक में हाथ बंटाती हैं। इसके बदले में उन्हें दो से ढाई सौ रुपये प्रतिदिन की आय हो जाती है। लागत कम करने के लिए एक बीघा खेत में किरण ने गन्ना उगा रखा है।