गोरखपुर: गोरखपुर में कई ऐसे मंदिर हैं, जो आजादी से पहले बनाए गए और आज भी लोगों की आस्था मंदिर से जुड़ी हुई है. शहर में कई ऐसे प्राचीन मंदिर हैं, जो अंग्रेजों के काल में राजाओं द्वारा बनाए गए थे तो कई मंदिरों की स्थापना वहां के लोगों ने की थी. इन्हीं में से एक गोरखपुर का विष्णु मंदिर. यह मंदिर गोरखपुर के असुरन चौक पर मौजुद है. शहर के लोग इसे विष्णु मंदिर के नाम से जानते हैं. इस मंदिर के साथ लोगों की ऐसी आस्था है कि हर वक्त मंदिर में कोई ना कोई अनुष्ठान चलता रहता है.
मंदिर में पहुंचने के बाद हमारी मुलाकात मंदिर के पुजारी विकास पांडे से हुई. वह बताते हैं कि मंदिर की स्थापना लगभग 1914 में की गई थी. यहां मौजूद नारायण जी की मूर्ति मंदिर के पीछे खुदाई के वक्त अंग्रेजी शासनकाल में मिली थी. तब से इस मूर्ति को मंदिर के बीचो-बीच उसी तरह स्थापित किया गया है. आज तक इसे हाथ नहीं लगाया गया बस मूर्ति को नारायण जी के श्रृंगार के लिए हम लोग छूते हैं. बाकी मूर्ति उसी तरह है जैसे खुदाई में से निकली थी. मंदिर की बनावट ऐसी है कि रोड से जाने वाले श्रद्धालु भी सीधे भगवान नारायण के दर्शन कर लेते हैं. रोड से ही वह बिल्कुल अपने स्थान पर विराजमान दिखाई देते हैं.
मंदिर में मौजूद पुजारी विकास पांडे बताते हैं कि उत्तर प्रदेश का इकलौता यह ऐसा विष्णु मंदिर है, जहां श्रद्धालुओं को चारों धाम के दर्शन होते हैं. 1914 मे इसे मझौलिया की स्टेट रानी ने ऐसा बनवाया कि जो लोग चारों धाम के दर्शन नहीं कर पाते हैं, वह लोग इस मंदिर में चारों धाम के दर्शन कर लेंगे. भगवान नारायण के बाई ओर में बद्रीनाथ विराजमान है, दाहिने ओर में द्वारिका नाथ, भगवान के आगे दाहिने साइड में जगरनाथ विराजमान है तो भगवान के आगे बाएं साइड में रामेश्वरम विराजमान है. पंडित जी बताते हैं कि मंदिर में विराजमान नारायण जी की मूर्ति में 27 देवता वास करते हैं.
गोरखपुर में मौजूद इस विष्णु मंदिर में लोग सुबह से शाम तक आते-जाते रहते हैं. कोई अपना कथा पूजा कर आता है. तो कोई सावन के महीनों में रुद्राभिषेक. मंदिर के पुजारी विकास पांडे कहते हैं कि मैं नारायण जी के मूर्ति का श्रृंगार करता रहता हूं. कभी-कभी ऐसा लगता है कि साक्षात नारायण जी की मूर्ति मुस्कुराती है और हम लोग देखकर प्रसन्न होते हैं. वैसे तो मंदिर में हर वक्त कोई ना कोई अनुष्ठान चलता रहता है और भक्त अपनी श्रद्धा से आकर यहां पूजा पाठ भी कराते रहते हैं.
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