नई दिल्ली ।  हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी और जननायक जनता पार्टी का चार साल चार महीने पुराना गठबंधन मंगलवार को टूट गया। गठबंधन टूटने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने राज्यपाल से मुलाकात करके अपना इस्तीफा दे दिया। अब राज्य में नए सिरे से सरकार का गठन होगा। नायब सैनी मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।

आखिर भाजपा-जजपा के बीच गठबंधन क्यों टूटा? हरियाणा विधानसभा में सीटों का गणित क्या है? जजपा के समर्थन वापस लेने के बाद भाजपा के पास सत्ता में बने रहने के लिए क्या विकल्प हैं? क्या राज्य में गैर भाजपा सरकार बनने का भी कोई समीकरण है?

आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा और जजपा के बीच सीट बंटवारे को लेकर बातचीत चल रही थी। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और जजपा नेता दुष्यंत चौटाला के बीच सीट बंटवारे को लेकर सोमवार को 45 मिनट बातचीत हुई। कहा जा रहा है कि बैठक में जजपा ने भिवानी-महेंद्रगढ़ और हिसार लोकसभा सीट की मांग की थी। हिसार सीट पर कांग्रेस से भाजपा में आए कुलदीप बिश्नोई भी दावेदारी पेश कर रहे हैं। ऐसे में भाजपा यह सीट जजपा को देने के पक्ष में नहीं थी। वहीं, भिवानी सीट पर भी भाजपा खुद को मजबूत मान रही है।

यह सीट भी पार्टी जजपा को देने के पक्ष में नहीं थी। चर्चा के मुताबिक जजपा की दो सीटों की मांग पर भाजपा केवल एक सीट देने को तैयार थी। सूत्रों के मुताबिक भाजपा की ओर से जजपा को कुरुक्षेत्र सीट ऑफर की गई थी। इसके बाद दोनों के बीच बातचीत पटरी से उतर गई। दरअसल, 10 लोकसभा सीटों वाले इस राज्य में भाजपा को 2019 में सभी 10 सीटों पर जीत मिली थी। ऐसे में पार्टी किसी और दल को बहुत अधिक सीटें देने के पक्ष में नहीं थी।

2019 के लोकसभा चुनाव में जजपा और आम आदमी पार्टी ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। जजपा ने सात और आप ने तीन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। छह महीने बाद राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में जजपा 10 सीटें जीतने में सफल रही। वहीं, सत्ताधारी भाजपा बहुमत के आंकड़े से दूर रह गई। उसे 40 सीटों पर जीत मिली। 90 सदस्यों वाली विधानसभा में बहुमत के लिए 46 सीटों पर जीत जरूरी थी। ऐसे में भाजपा बहुमत के आंकड़े से छह सीटें कम जीत सकी। चुनाव के बाद 10 सीटों वाली जजपा के साथ पार्टी ने गठबंधन किया और राज्य की सत्ता में वापसी की। कांग्रेस 31 सीटें जीतकर मुख्य विपक्षी पार्टी बनी। सात निर्दलीय, इनेलो एक और हरियाणा लोकहित पार्टी को एक सीट पर जीत मिली थी।

मौजूदा समय में विधानसभा अध्यक्ष समेत भाजपा के कुल 41 विधायक हैं। पार्टी सात निर्दलीय विधायकों में से सभी के समर्थन का दावा कर रही है। इस तरह सत्ता पक्ष के पास कुल 48 विधायकों का समर्थन होने का दावा किया जा रहा है। यह आंकड़ा बहुमत के आंकड़े से एक ज्यादा है। राज्य में जारी सियासी हलचल के बीच कांग्रेस ने अपने मौजूदा 30 विधायकों को दिल्ली बुला लिया है। वहीं, जजपा ने भी अपने 10 विधायकों को दिल्ली बुला लिया है। इनेलो के अभय चौटाला, हरियाणा लोकहित पार्टी के गोपाल कांडा अन्य विधायकों में शामिल हैं।

भाजपा के 41 विधायक हैं। पार्टी निर्दलीय विधायकों समर्थन का दावा कर रही है। निर्दलीय विधायकों में मेहम विधायक बलराज कुंडु, निलोखरी विधायक धर्म पाल गोंदर, पृथला विधायक नयनपाल रावत, बादशाहपुर विधायक राकेश दौलताबाद, पुंडरी विधायक रणधीर सिंह गोलेन, रानिया विधायक रंजीत सिंह और दादरी के विधायक सोमवीर शामिल हैं। हलोपा के गोपाल कांडा भी कई मौकों पर सरकार का समर्थन कर चुके हैं। छह निर्दलीय और हलोपा के गोपाल कांडा के समर्थन से भाजपा के पास कुल 49 विधायकों का समर्थन है। इन विधायकों के समर्थन से मंगलवार को ही नई सरकार का शपथ ग्रहण हो सकता है।

फिलहाल राज्य में नई सरकार के गठन में कांग्रेस की ओर से कोई दावा नहीं किया गया है। ऐसे में गैर भाजपा सरकार की संभावना नहीं दिखाई देती है। अगर कांग्रेस की ओर इस तरह की कोई कोशिश होती है तो उसे भी जजपा के साथ ही निर्दलीय विधायकों के समर्थन की भी जरूरत पड़ेगी।