मेरठ. सरकारी एंबुलेंसों ने फर्जी मरीजों से अस्पताल भर दिया, और कागज का पेट भी….। प्रदेश सरकार की जांच में मेरठ समेत दर्जनों जिलों में भ्रष्टाचार सामने आ रहा है। 2021 और 2022 के अप्रैल और मई माह का आंकड़ा बयां करता है कि सरकारी एंबुलेंसों 102 और 108 द्वारा अस्पताल पहुंचाए गए मरीजों की संख्या तीन से पांच गुना बढ़ गई। जबकि इस दौरान कोई महामारी या संक्रामक रोगों का प्रकोप भी नहीं रहा।

सीएमओ डा. अखिलेश मोहन ने बताया कि एंबुलेंसों के फर्जीवाड़े की बड़े पैमाने पर जांच चल रही है। कई अस्पतालों में पहुंचाए गए मरीजों के डिटेल एवं फोन नंबर के जरिए सत्यता परखी जा रही है। गत दिनों बरेली में जांच में सामने आया था कि ज्यादातर मरीजों की भर्ती फर्जी मिली थी। उनका विवरण तीसरी पार्टी की ओर से उपलब्ध कराया गया, और फेरों के नाम पर जमकर पैसा बनाया गया। एंबुलेंस संचालन का जिम्मा हैदराबाद की एक निजी कंपनी के हाथ है, जिसे अंधेरे में रखा गया। जांच पड़ताल के दौरान अब एंबुलेंसों की जीपीएस लोकेशन के जरिए मूवमेंट भी देखा जा रहा है।

एंबुलेंस 102 एवं 108 के संचालन में बड़ा भ्रष्टाचार सामने आने के बाद स्टाफ से कई चरणों में पूछताछ हुई। पता चला कि रोजाना मरीजों का टारगेट तय करने के बाद एंबुलेंस संचालकों ने शार्टकट अपनाया। एनएचएम के तहत संचालित इस व्यवस्था में कई छेद हैं। एंबुलेंस संचालकों को रोजाना आशा कार्यकत्रियों से बातकर 102 से कम से कम आठ नए मरीज गंतव्य तक पहुंचाने होते हैं। एंबुलेंस स्टाफ मेहनत न कर मरीज का बंदाेबस्त किसी बिचौलिए के माध्यम से करता है। स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों ने बताया कि दो साल पहले जब टारगेट नहीं था तो एंबुलेंस संचालक मरीज ही अटेंड नहीं करते थे। एनएचएम की लखनऊ में आयोजित मीटिंग में यह मुददा जोरशोर से उठाया जा चुका है।