उज्जैन. इस बार 31 जुलाई को हरियाली तीज का पर्व मनाया जाएगा। ऐसा कहा जाता है कि विवाहित महिलाएं ये व्रत परिवार की खुशहाली और कुंवारी कन्याएं मनचाहे जीवनसाथी के लिए करती हैं। इस दिन महिलाएं एक स्थान पर इकट्ठा होकर नाचती हैं, गाती हैं और खुशियां मनाती हैं। इस दिन महिलाएं हरे रंग की साड़ी और हरी चूड़ियां विशेष रूप से पहनती हैं। ये एक परंपरा-सी बन गई है। इस परंपरा के पीछे वैसे तो कोई धार्मिक कारण नहीं है, लेकिन इसका मनोवैज्ञानिक पक्ष जरूर है। आगे जानिए इस परंपरा से जुड़ी खास बातें…
हरियाली अमावस्या पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा विशेष रूप से की जाती है। हरा रंग भगवान शिव को भी अति प्रिय है। पूजा के दौरान महिलाएं माता पार्वती को भी हरी चूड़ियां अर्पित करती हैं। कहा जाता है कि हरा रंग पति और पत्नी के बीच प्रेम की बढ़ाता है। ये रंग सुहाग का प्रतीक भी माना जाता है। हरियाली तीज पर हरा रंग पहनने से वैवाहिक सुख में वृद्धि होती है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हर ग्रह एक विशेष रंग का प्रतिनिधित्व करता है। इसी क्रम में बुध ग्रह का रंग हरा है। ऐसा कहा जाता है कि जिन लोगों की कुंडली में बुध ग्रह अशुभ स्थिति में हो, उन्हें हरे रंग के कपड़े पहनने चाहिए। जिससे कि इन्हें बुध ग्रह से संबंधित शुभ फल मिल सकें। ये ग्रह बुद्धि और वाणी का कारक भी है। ये ग्रह शुभ फल देता है तो व्यक्ति अपनी वाणी से सबको प्रसन्न कर देता है। इसलिए हरियाली अमावस्या पर महिलाएं इस रंग की कपड़े पहनती हैं ताकि मीठी बातें बोलकर अपने पति का दिल जीत सकें।
सावन में प्रकृति भी हरियाली की चादर ओढ़कर सबका स्वागत करती है। हरे भरे पेड़ पौधे आंखों को सुकून देने का काम करते हैं। ये वो समय होता है जब लोगो प्रकृति को अपने आस-पास महसूस कर सकते हैं और उसका महत्व समझ सकते हैं। इसलिए इस दौरान ऐसे आयोजन किए जाते हैं कि लोग प्रकृति के निकट जा सकें और उसका महत्व भी समझें।