नई दिल्ली. अपनी जिंदगी में रोजाना की होने वाली छोटी-मोटी घटनाओं से परे एक अलग सी शांतिमय, आत्म संतुष्टि की दुनिया को खोजने की इच्छा हर इंसान रखता है और इसके लिए दिलचस्प और नए तरीके खोजना मनुष्य की एक अनोखी आदत है. पूरे विश्व में कई इंसानों पर की गई एक स्टडी के आधार पर यह सामने आया है कि अक्सर जब कोई भी मनुष्य जरा सा भी परेशान या बेचैन होता है तो वो किसी नशीले पदार्थ का सेवन करता है और साथ में अपना पसंदीदा संगीत जरूर सुनता है और फिर यह आदत कभी ना छूटने वाली एक लत बन जाती है.

कम उम्र में लगती है नशे की लत
धीरे-धीरे इंसान इस मायाजाल का केवल आदी नहीं बल्कि गुलाम बन जाता जिसके लिए वह कुछ भी करने को तैयार होता है. चाहे वह किसी तरह की चोरी हो या फिर कोई संगीन जुर्म. एक सर्वे में यह पाया गया है जितने भी कम उम्र के लोग जुर्म की दुनिया में हैं वह सभी के सभी किसी ना किसी तरह नशे की लत से जुड़े हुए हैं और बिना नशे के वह जिंदा नहीं सकते. यह आदत ज्यादातर 18 साल से कम उम्र के बच्चों में पाई गई है.

देश में केंद्र सरकार और राज्य सरकारें लगातार नशे के खिलाफ अभियान चला रही हैं जिसके चलते नशे के कई बड़े सौदागरों को पकड़ा गया है. लेकिन आज जो हम आपको बताने वाले हैं उसके बारे आपने कभी पढ़ा नहीं होगा और जानते हुए भी आपके लिए यह चीज अनजान होगी. जी हां, हम आपको बता दें कि अब किसी भी नशे को करने के लिए चाहे वो शराब हो या फिर कोकीन, भांग, चरस, गांजा और एलएसडी इस जैसी तमाम चीजें अब लोग सिर्फ एक म्यूजिक के जरिये कर लेते हैं.

नशे का नया तरीका बेहद खतरनाक
आपको यह सुनकर काफी हैरानी हो रही होगी, इन सभी जानलेवा नशे की चीजों का ऑनलाइन सॉल्यूशन आ गया है. यह फिजिकल ड्रग्स को रेप्लीकेट करने का नया तरीका है जो और भी ज्यादा खतरनाक है खासतौर पर बच्चों और युवाओं के लिए.

एक स्टडी के मुताबिक अब लोग मेंटल रिलीफ के लिए डिजिटल ड्रग्स लेने लगे हैं. हाल ही में युवाओं के बीच यह ट्रेंड इतना बढ़ गया है कि दुनियाभर के वैज्ञानिक इस पर रिसर्च कर रहे हैं. तो आइए हम आपको बताते हैं कि क्या है यह डिजिटल ड्रग और कैसे नशे की लत के आदी लोग खासकर युवाओं के लिए कैसे काम करता है.

बाइनॉरल बीट्स से चढ़ता है नशा
इस नए डिजिटल नशे का नाम है ‘बाइनॉरल बीट्स’ जिसको सुनकर ही नशा चढ़ जाता है. अब नशे के लिए आपको केवल मोबाइल, हेडफोन और इंटरनेट कनेक्शन की जरूरत है. हम जिस डिजिटल ड्रग की बात कर रहे हैं, उसका साइंटिफिक नाम बाइनॉरल बीट्स है. यह म्यूजिक की एक कैटेगरी है जो यूट्यूब और स्पॉटिफाई जैसे मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर आसानी से उपलब्ध है. यानी, अब हाई होने के लिए आपको केवल मोबाइल, हेडफोन और इंटरनेट कनेक्शन की जरूरत है. लोगों को ऐसे ही ऑडियो ट्रैक सुनकर नशा चढ़ रहा है.

दरअसल, बाइनॉरल का शाब्दिक अर्थ दो कान हैं और बीट्स का मतलब साउंड होता है. बाइनॉरल बीट्स एक खास प्रकार का साउंड होता है जिसमें आपको दोनों कानों में अलग-अलग फ्रीक्वेंसी की आवाजें सुनाई देती हैं. इससे आपका दिमाग कंफ्यूज होकर दोनों साउंड्स को एक बनाने की कोशिश करता है. ऐसा करके दिमाग में अपने आप ही तीसरा साउंड बन जाता है, जिसे केवल हम सुन सकते हैं. दिमाग की इस एक्टिविटी से लोग खुद को शांत, खोया हुआ और नशे की स्थिति में पाते हैं जिसे हम दिमाग की हलूसनेशन यानी मायावी स्टेज कहते हैं.

लत में बदल जाती है आदत
यह बच्चों और युवाओं के लिए कितना खतरनाक साबित हो सकता है जब इस बारे में हमने साइकाइट्रिस्ट डॉ. दीपक रहेजा से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि पेरेंट्स को बच्चों की फोन एक्टिविटी पर नजर जरूर रखनी चाहिए. दीपक रहेजा ने इस बारे में बताया कि ऐसा देखा गया है कि बाइनॉरल बीट्स को सुनकर लोगों के मूड में बदलाव होता है. इससे उन्हें बहुत ही अच्छा और रिलैक्स महसूस होता है. नतीजतन, लोग इन बीट्स को बार-बार सुनकर एडिक्शन डेवलप कर लेते हैं.

डॉक्टर के मुताबिक मेंटल और फिजिकल हेल्थ पर इसका क्या असर होता है इस बारे में ज्यादा रिसर्च नहीं हुई है, लेकिन फिर भी पेरेंट्स को बच्चों की फोन एक्टिविटी पर नजर जरूर रखनी चाहिए. डॉक्टर के अनुसार डिजिटल ड्रग्स का एक बहुत बड़ा नुकसान यह भी है कि युवा इसके प्रभाव को समझने के लिए शराब और गांजा जैसे असली ड्रग्स का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित होंगे, जो कि बेहद खतरनाक साबित होगा.

डीजे ने ऐसे म्यूजिक पर दी ये सलाह
आमतौर पर डिस्को थिक्स में होने वाली पार्टियों में इसका कितना चलन है और लोगों को इसके बारे में कितना पता है, यह जानने के लिए हमने मशहूर डीजे सूर्या से बात की तो उन्होंने कहा की म्यूजिक इंसान को राह से भटकाने के लिए नहीं राह पर लाने के लिए जाने-माने इंटरनेशनल डीजे के साथ भी काम कर चुके हैं. लेकिन ऐसे बीट्स पर कोई अच्छा डीजे काम नहीं करता.

सूर्या का कहना है कि डीजे अपने म्यूजिक से मस्ती और हंसी-खुशी का माहौल बनाते हैं उन्होंने अभी तक भारत में ऐसी किसी पार्टी का जिक्र नहीं सुना. सूर्या ने कहा कि इसी तरह का एक म्यूजिक है जिसे कुछ डीजे बजाते है वह है साईकेडेलिक म्यूजिक जो कि डार्क पार्टीज में बजता है. सूर्या का कहना है कि जितना भी उन्होंने बाइनॉरल बीट्स के बारे में पढ़ा है वो उसके बारे में यह ही कह सकते हैं कि जितना हो सके इस तरह के म्यूजिक से बचाना चाहिए, खासकर बच्चों और युवाओं के लिए ऐसा करना जरूरी है.

सूर्या ने कहा कि उदाहरण के लिए यह बताता हूं कि यूट्यूब पर मौजूद वीडियोज अपने टाइटल में फिजिकल ड्रग्स का नाम लिखकर उनकी तुलना बाइनॉरल बीट्स से करते हैं. इससे युवा दोनों ड्रग्स के असर को समझने के लिए गलत कदम उठा सकते हैं.

स्टडी में सामने आई ये बात
आपको बता दें कि बाइनॉरल बीट्स का ट्रेंड सबसे ज्यादा अमेरिका, मेक्सिको, ब्राजील, रोमानिया, पोलैंड और ब्रिटेन में देखा जा रहा है. एक रिसर्च में वैज्ञानिकों ने बाइनॉरल बीट्स के प्रभाव को समझने की कोशिश की. इसमें 30 हजार लोगों पर हुए इस सर्वे में पता चला कि 5.3% लोग बाइनॉरल बीट्स को इस्तेमाल करना पसंद करते हैं. इनकी औसत उम्र 27 साल थी और इनमें से 60.5% पुरुष थे. नतीजों की मानें तो इनमें से तीन चौथाई लोग ये आवाजें सुनकर आरामदायक नींद लेते हैं. वहीं, 34.7% लोग अपना मूड चेंज करने के लिए और 11.7% लोग फिजिकल ड्रग्स के असर को रेप्लीकेट करने के लिए बाइनॉरल बीट्स सुनते हैं.

कुछ लोगों का तो यह भी कहना था कि उन्हें बाइनॉरल बीट्स के जरिए मनचाहे सपने दिखते हैं और वे डीएमटी जैसे ड्रग के असर को बढ़ाने के लिए डिजिटल ड्रग्स को सप्लिमेंट के तौर पर लेते हैं. जहां करीब 50% लोग इस ऑडियो को लगभग एक घंटा सुनते हैं, वहीं 12% लोग दो घंटे से भी ज्यादा समय तक डिजिटल ड्रग्स में खो जाना पसंद करते हैं. डिजिटल ड्रग्स के असर को देखते हुए UAEऔर लेबनान जैसे देशों ने इस पर बैन लगाने की मांग की है.

दो दशक पहले आया पहला मामला
जानकारी के मुताबिक, डिजिटल ड्रग का पहला मामला साल 2010 में तब सामने आया था, जब अमेरिका के ओक्लाहोमा शहर में रहने वाले 3 बच्चे स्कूल में नशे में धुत नजर आए थे. उन्होंने प्रिंसिपल के सामने ये कबूल किया था कि वे इंटरनेट से बाइनॉरल बीट्स को डाउनलोड करके सुन रहे हैं. उस वक्त ये बीट्स बनाने वाली i-doser वेबसाइट का नाम सुर्खियों में था. दरअसल, इस वेबसाइट का दावा है कि इसके 80% यूजर्स को बाइनॉरल बीट्स का असर होता ही है. बच्चों पर डिजिटल ड्रग्स के असर को देखते हुए ओक्लाहोमा ब्यूरो ऑफ नार्कोटिक्स ने लोगों को चेतावनी दी थी कि युवाओं में बाइनॉरल बीट्स की लत काफी बढ़ने लगी है, यह बेहद खरनाक है और इसे जल्द रोका जाना चाहिए.