नई दिल्‍ली. रिजर्व बैंक ने इकोनॉमी में तेजी लाने को प्रमुखता देते हुए ब्याज दरों में 11वीं बार कोई बदलाव नहीं किया है. शुक्रवार को मौद्रिक नीति का ऐलान करते हुए आरबीआई ने रेपो रेट को 4 फीसदी के पूर्व स्तर पर बनाए रखा है. साथ ही होम लोन के लोअर रिस्क वेटेज (कम जोखिम भार) को एक साल के लिए बढ़ाने की भी घोषणा की है.

रिजर्व बैंक के इस कदम से रियल्टी सेक्टर में कर्ज का प्रवाह बनाए रखने में बदद मिलेगी. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए कहा कि लोअर रिस्क वेटेज को अब 31 मार्च, 2023 तक के लिए बढ़ा दिया गया है. इससे होम लोन के सेगमेंट में मांग मजबूत रहेगी और घर खरीदने वालों को राहत मिलेगी.

नहीं बढ़ेगा होम लोन इंट्रेस्ट
जबकि होम बायर्स को इसका फायदा यह मिलेगा कि बैंकों की लागत कम रहने से होम लोन का इंट्रेस्ट रेट नहीं बढ़ेगा, जिससे उनकी किस्तें भी रहेंगी. हाल के दिनों में जिस से तरह से कर्ज की मांग में तेजी आई है, उससे बैंकों के पास पूंजी की कमी हुई है. इसे पूरा करने के लिए ही ज्यादातर बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट पर ज्यादा ब्याज ऑफर कर रहे हैं. एफडी रेट बढ़ने से इस बात की आशंका जताई जा रही थी कि कर्ज भी महंगा हो सकता है.

बैंक दें पाएंगे ज्यादा कर्ज
रिजर्व बैंक ने अक्टूबर 2020 में लोअर रिस्क वेटेज को लोन टू वैल्यू के अनुपात से जोड़ दिया था ताकि लोन का जोखिम भार युक्तिसंगत बना रहे. इसे पहले 31 मार्च, 2022 तक के होम लोन के लिए ही स्वीकृत किया गया था. अब इसे एक साल के लिए बढ़ा दिया गया है. इसका फायदा यह होगा कि बैंकों को जोखिम भार के लिए पूंजी का कम प्रावधान करना होगा. कम पूंजी प्रावधान से उनके पास होम लोन देने के लिए ज्यादा पूंजी रहेगी. वे ज्यादा से ज्यादा कर्ज दे पाएंगे.