नई दिल्ली. शायद ही कोई ऐसा निवेश विकल्प या बचत योजना हो जहां ये दावे के साथ कहा जा सके कि खाताधारक का पैसा बिलकुल सुरक्षित है. यहां तक कि बैंक के बचत खाते में रखे गए पैसे के लिए भी ऐसा नहीं कहा जा सकता है. हम पिछले कुछ सालों में देख चुके हैं कि कैसे कई छोटे ग्रामीण व सहकारी बैंकों की वित्तीय स्थिति खराब हुई और उसमें जमा लोगों के पैसे पर ही ग्रहण लग गया. लोग बैंक से अपने ही पैसे निकालने के लिए मशक्कत करते दिखे. अगर बैंक अचानक खुद को बैंक्ररप्ट (दिवालिया) घोषित कर दे तो ऐसे में क्या होगा.
बैंक में केवल बचत खातों में ही पैसा नहीं होता. इसके बैंक एफडी, आरडी व चालू खाते में पड़ा पैसा भी होता है. अव्वल तो किसी बड़े बैंक का दिवालिया होना बहुत मुश्किल होता है, क्योंकि सरकार व आरबीआई किसी तरह उसके बचाव में उतर आते हैं. किसी भी बड़े बैंक के दिवालिया होने का असर पूरी अर्थव्यवस्था पर नजर आएगा. इसलिए हम यहां छोटे सहकारी व ग्रामीण बैंकों के उदाहरण से ही समझते हैं कि बैंक के दिवालिया होने पर आपके पैसे का क्या होगा.
आरबीआई द्वारा बैंकों में रखे गए पैसे का इंश्योरेंस किया जाता है. इसे डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन के तहत मुहैया कराया जाता है. इसमें कमर्शियल बैंक व सहकारी बैंकों को शामिल किया गया है. DICGC ऊपर बताए गए सभी निवेश का बीमा करती है. इसके तहत अगर कोई बैंक दिवालिया हो जाता है या उसका लाइसेंस रद्द कर दिया जाता है तो हर निवेशक को अधिकतम 5 लाख रुपये तक का बीमा मिलेगा. इसमें उसके द्वारा बैंक में जमा की गई मूल राशि और ब्याज सम्मिलित है. यानी अगर किसी व्यक्ति ने बैंक में 4.80 लाख रुपये जमा किए हैं तो उसे पूरे पैसे मिल जाएंगे लेकिन अगर किसी ने 6 लाख रुपये जमा किए थे तो उसका 1 लाख का नुकसान हो जाएगा.