शाहजहांपुर.रूस-यूक्रेन युद्ध और केंद्र सरकार के गेहूं निर्यात के फैसले के चलते शाहजहांपुर में गेहूं की कीमतें लगातार बढ़ती ही जा रही है. गेहूं निर्यात की खबर लगते ही प्राइवेट कंपनियां लगातार मंडियों में किसानों का गेहूं खरीद रही हैं तो वहीं दूसरी ओर आटा मिलों में किसानों की भीड़ दिखाई पड़ रही है. प्राइवेट कंपनियों के गेहूं खरीदने के चलते सरकारी गेहूं क्रय केंद्रों पर सन्नाटा पसरा है. चौंकाने वाली बात है कि अप्रैल में अभी तक 3240 मीट्रिक टन ही गेहूं की खरीद हो पाई है. ऐसे में किसानों को एमएसपी से ज्यादा रेट मिलने से किसान जहां खुश दिखाई पड़ रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर प्राइवेट कंपनियां किसानों की खून पसीने की कमाई में से मोटी रकम बनाने की जुगाड़ में लग गई है.
शाहजहांपुर की मंडियां हमेशा से ही गेहूं की खरीद में पूरे प्रदेश में अब्बल रही हैं. सरकारी क्रय केंद्र हमेशा से ही किसानों को मुनाफा दिलाता रहे हैं, लेकिन इस बार सरकारी रेट से कहीं ज्यादा रेट किसानों को प्राइवेट कंपनियां दे रही है. किसानों का गेहूं हाथों हाथ 2130 रुपए प्रति कुंतल की दर से बिक रहा है तो वहीं दूसरी ओर आटा मिलो मे रोजाना किसान अपना गेहूं बेच रहे हैं. किसानों का कहना है कि यदि इसी तरीके से उनकी उपज का दाम ज्यादा मिलता रहे तो ना केवल उनके लागत मूल्य से अधिक पैसा मिलने से मुनाफा होगा, बल्कि यह कारोबार और भी तरक्की करने लगेगा.
सरकारी क्रय केंद्रों पर सन्नाटा
दरअसल, यूक्रेन-रूस के युद्ध के चलते जहां विदेशी कंपनियां भारत सरकार से गेहूं मांग रही हैं तो वहीं भारत सरकार ने भी गेहूं निर्यात करने का फैसला कर लिया है, जिसके चलते प्राइवेट कंपनियां गेहूं खरीद के लिए सक्रिय हो गई हैं. जिसके चलते मंडियों में किसानों का गेहूं हाथों-हाथ खरीदा जा रहा है. मंडियों में किसानों का गेहूं 2130 रुपए प्रति कुंटल खरीदा जा रहा है, जबकि सरकारी रेट 2015 रुपये ही है. ऐसे में किसानों को इस बार सरकारी क्रय केंद्रों पर चक्कर नहीं लगाना पड़ रहा तो वहीं दूसरी ओर सरकारी क्रय केंद्र सूने दिखाई पड़ रहे हैं. जिले में अप्रैल माह में अभी तक 2150 मीट्रिक टन ही गेहूं की खरीद हो पाई है.
किसानों में ख़ुशी
शाहजहांपुर में गेहूं हो या धान हमेशा से ही किसानों ने सबसे ज्यादा उत्पादन करके सरकारी भंडारण को भरपूर अनाज दिया है, लेकिन हमेशा से ही किसान अपनी अनाज की लागत मूल्य भी नहीं निकाल सका है. जिसके चलते यह खेती उन्हें घाटे का सौदा साबित होती रही है, लेकिन इस बार अनाज का वाजिब मूल्य मिलने से किसान खुश नजर आ रहे हैं. हालांकि प्राइवेट एजेंसी इन किसानों से खरीदे गेहूं से मोटा मुनाफा कमाएंगे लेकिन किसानों के लिए भी इस समय गेहूं बेचना इसलिए मजबूरी हो गई है, क्योंकि उन्हें इस गेहूं को बेचकरअपनी दूसरी फसल लगानी है.