मकर संक्रांति व लोहड़ी दोनों उत्तर भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक हैं. लोहड़ी का पर्व मुख्य रूप से पंजाब में सिख समुदाय के लोग बड़े उल्लास के साथ मनाते हैं. इसके अलावा दिल्ली, हरियाणा व राजस्थान में भी लोहड़ी का उत्साह चरम पर रहता है. इस बार लोहड़ी 14 जनवरी 2023 को मनाई जाएगी. लोहड़ी का पर्व मुख्य रूप से कृषि व प्रकृति को समर्पित होता है. आइये पंडित इंद्रमणि घनस्याल से जानते हैं लोहड़ी पर्व का महत्व और पूजा का विधान.

लोहड़ी का पर्व जिस दिन मनाया जाता है, उस दिन वर्ष की सबसे लंबी रात होती है. इसके बाद रातें छोटी और दिन बड़े होने लगते हैं. लोहड़ी कृषि से जुड़ा त्योहार है, ऐसे में किसानों में भी इस पर्व को लेकर खासा उत्साह रहता है. खेतों में अनाज लहलहाने लगते हैं और मौसम अनुकूल होने लगता है. इस दिन पंजाबी लोग नये वस्त्र पहनकर सज-धजकर ढोल गानों पर लोक नृत्य, भांगड़ा करते हैं. इस दिन महिलाएं लोहड़ी के पारंपरिक गीत गाकर उत्साह बढ़ाती हैं.

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार सूर्य 14 जनवरी 2023 को रात 8 बजकर 21 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे, इसलिए मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी 2023 को मनाया जाएगा. इससे एक दिन पूर्व 14 जनवरी 2023 को लोहड़ी का पर्व मनाया जाएगा. लोहड़ी के लिए शुभ मुहूर्त रात 8 बजकर 57 मिनट रहेगा.

लोहड़ी पर विशेष व्यंजन बनाए जाते हैं, जिसमें गजक, रेवड़ी, मुंगफली आदि शामिल होती हैं. लोहड़ी पर एक स्थान पर लकड़ियों को अग्नि दी जाती है. इसके बाद सभी लोग अग्नि की परिक्रमा लगाते हैं और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं. फिर सभी लोग उसके नजदीक एकत्र होकर आयोजन करते हैं. इस दौरान लोग एक दूसरे को बधाई देते हैं और गिले शिकवे दूर करते हैं. फिर रेवड़ी, गजक आदि का सेवन किया जाता है.