नई दिल्ली. रूपल चौधरी आज किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं. 17 वर्षीय इस महिला प्रतिभावान एथलीट ने गुजरात के नाडियाड में आयोजित नेशनल अंडर-20 फेडरेशन कप एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 400 मीटर स्पर्धा का स्वर्ण पदक अपने नाम किया. इसके साथ ही रूपल ने इस वर्ष अगस्त में अमेरिका में होने वाले वर्ल्ड अंडर 20 चैंपियनशिप के लिए भी क्वालिफाई कर लिया. रुपल ने 52.48 सेकेंड के साथ पहला स्थान हासिल किया. उत्तर प्रदेश की इस युवा एथलीट के लिए यहां तक का सफर तय करना आसान नहीं था. रूपल को एथलेटिक्स को करियर बनाने के लिए पिता के सामने भूख हड़ताल तक करनी पड़ी.
रूपल चौधरी ने कहा, ‘ मैंने रियो ओलंपिक 2016 में पीवी सिंधु और साक्षी मलिक को पदक जीतते हुए देखा. इसके बाद मैंने भी एथलीट बनने का फैसला लिया. मैं यह नहीं जानती थी कि इसके लिए मुझे क्या करना होगा लेकिन मैंने ये फैसला लिया.’ मेरठ में एक ही स्टेडियम है. लेकिन ओमवीर बेटी को वहां ले जाने के लिए राजी नहीं थे.
‘…तब भूख हड़ताल करने की ठानी’
बकौल रूपल, ‘ पहले वह मुझे स्टेडियम ले जाने के लिए राजी हो गए. लेकिन बाद में वह कोई ना कोई बहाना करके टालने लगे. उन्हें संभवत: ऐसा लगा कि बाद में मैं अपना फैसला बदल लूंगी.’ इसके बाद भी तब की 12 वर्षीय रूपल हार मानने की बजाय अपने लक्ष्य पर कायम रहीं. आखिरकार सितंबर 2017 में रूपल ने पिता को मनाने के लिए अनशन पर बैठने की ठानी.
‘तीन दिन बाद पिता को मेरी जिद के आगे झुकना पड़ा’
रूपल ने कहा, ‘ एक साल बाद, मुझे लगा कि पिता मुझे स्टेडियम नहीं भेजेंगे. इसलिए मैंने भूख हड़ताल करने का फैसला लिया. शुरू में उन्हें लगा कि मैं अपने इस फैसले को बदल लूंगी, लेकिन तीन दिन बीतने के बाद उन्हें अहसास हुआ कि मैं इस मामले में बहुत गंभीर हूं. इसके बाद उन्होंने मुझे ले जाने का फैसला लिया. मेरे जिद के सामने उनको झुकना पड़ा.’
स्टेडियम के सिंथेटिक ट्रैक जर्जर अवस्था में था
रूपल जब मेरठ के कैलाश प्रकाश स्टेडियम पहुंचीं तब इस स्टेडियम की हाल बहुत खराब थी. सिंथेटिक ट्रैक जर्जर अवस्था में था. टॉयलेट्स बहुत गंदे थे. बावजूद इसके रूपल वहां पहुंचकर बहुत खुश थीं क्योंकि यही वह जगह था जहां से उन्हें अपने सपनों को उड़ान देना था. रूपल ने कहा, ‘ जब मैं पहली बार स्टेडियम पहुंची, तब मेरी आंखे खुली की खुली रह गई. मुझे किसी एथलीट जैसा अहसास होने लगा.’ कुछ दिन बाद विशाल सक्सेना की नजरें रुपल पर पड़ी, जिन्होंने उन्हें ट्रेनिंग देने का बीड़ा उठाया. विशाल नेशनल स्तर पर 200 मीटर में गोल्ड चैंपियन रह चुके हैं.