बागपत। जनपद की तीनों विधानसभा सीटों पर मतदाताओं ने जहां नल खूब चलाया तो वहीं फूल भी खिलाते रहे। इससे बागपत, बड़ौत, छपरौली विधानसभा सीटों पर भाजपा व रालोद-सपा गठबंधन में सीधी टक्कर होती दिख रही है। यह जरूर है कि तीनों ही सीटों पर दोनों पार्टियों का बसपा और कांग्रेस को मिलने वाला वोट गणित बिगाड़ सकता है। इससे चुनाव परिणाम बदल सकता है। इन दोनों पार्टियों को उम्मीद से ज्यादा वोट मिल जाता है तो यह किसी सीट पर भाजपा तो किसी पर रालोद-सपा गठबंधन के लिए परेशानी खड़ी करेंगे।

बृहस्पतिवार को मतदान के बाद तीनों विधानसभा सीटों पर साफ हो गया है कि भाजपा व रालोद-सपा गठबंधन में सीधी टक्कर रही। बागपत सीट पर जहां गठबंधन के प्रत्याशी अहमद हमीद पर मुस्लिम मेहरबान रहे तो जाट और यादव वोट बंटने से भाजपा के योगेश धामा को बड़ी राहत मिलती दिख रही है। हालांकि इस सीट पर मुस्लिम वोटर ज्यादा होने से जिस तरह वोट प्रतिशत बढ़ा है और उनके बूथों पर लाइन लगी हुई थी। उसने भाजपा के योगेश धामा की चिंता को जरूर बढ़ा दी है। इस सीट पर बसपा के अरुण कसाना व कांग्रेस के अनिल देव त्यागी कितने वोट बटोरते हैं, उससे भी चुनाव परिणाम प्रभावित होगा। यदि इन दोनों को ज्यादा वोट मिलता है तो उसका भाजपा को नुकसान हो सकता है।

बड़ौत विधानसभा सीट पर भाजपा के केपी मलिक व रालोद-सपा गठबंधन के जयवीर तोमर में सीधी टक्कर रही। यहां बसपा के अंकित शर्मा व कांग्रेस के राहुल कश्यप को मिलने वाले वोट पर चुनाव परिणाम सबसे ज्यादा निर्भर करेगा। इस सीट पर हार-जीत का अंतर बड़ा नहीं रहने वाला है। बसपा व कांग्रेस को ज्यादा वोट मिलते हैं तो सबसे ज्यादा भाजपा के केपी मलिक का गणित बिगड़ेगा।

छपरौली विधानसभा सीट पर भी भाजपा के सहेंद्र रमाला व रालोद-सपा गठबंधन के अजय कुमार में टक्कर रही। यहां जाट व मुस्लिम का गठजोड़ बना, जिसका रालोद के अजय कुमार को फायदा होगा। बसपा के शाहिन व कांग्रेस के यूनुस चौधरी मुस्लिम होने के कारण बड़ी परेशानी खड़े कर सकते हैं। इसके साथ ही जाट वोटरों में भाजपा कितनी सेंध लगाने में कामयाब रही है, इससे भी चुनाव परिणाम तय होगा।