नई दिल्ली. भारतीय शेयर बाजार में सोमवार को हाहाकार मचा रहा. सेंसेंक्स और निफ्टी दोनों गैप-डाउन खुले और फिर नीचे गिरते ही चले गए. एक समय तक तो शुक्रवार की क्लोजिंग से सेंसेक्स 1879 अंक गिर चुका था और निफ्टी 575 अंक गिर चुका था. हालांकि आखिरी एक-डेढ़ घंटे में बाजार ने रिकवरी की और दोनों मुख्य सूचकांक लगभग 1.5 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुए, जोकि दिन में लगभग 3 प्रतिशत से भी ज्यादा टूट गए थे. लेकिन हर निवेशक के मन में यही सवाल है कि बाजार में कोहराम क्यों मचा है? बाजार में गिरावट के पीछे कई कारण हैं.

शेयर बाजार की समझ रखने वाले विश्लेषकों का कहना है कि बढ़ती महंगाई, ओमिक्रॉन के नए वेरिएंट के कारण कोविड के मामलों में विस्फोट, FIIs द्वारा निरंतर बिक्री और विकसित अर्थव्यवस्थाओं में धीमी विकास गति ने बाजार को पटरी से उतार दिया है.

उच्च स्तर पर डॉलर: यूएस फेडरल रिजर्व ने 16 दिसंबर को अपनी पॉलिसी की घोषणा की. यूएस फेड रिजर्व में ब्याज दरों में बढ़ोतरी नहीं की. मुद्रास्फीति बढ़ने और बेरोजगारी दर घटने के साथ, फेडरल रिजर्व ने कहा था कि वह अर्थव्यवस्था के लिए अपने समर्थन को और अधिक तेजी से कम करेगा और अगले साल तीन बार ब्याज दरें बढ़ा सकता है. इसके बाद डॉलर अपने नए शिखर बनाने लगा और बाजार में गिरावट देखी गई. इसका असर दुनियाभर के शेयर बाजारों में भी दिख रहा है.

वायरस का खतरा: अमेरिकी स्वास्थ्य अधिकारियों ने रविवार को अमेरिकियों से बूस्टर शॉट्स लेने, मास्क पहनने और सर्दियों की छुट्टियों में यात्रा करने पर सावधान रहने का आग्रह किया. कारण था, ओमिक्रॉन का दुनियाभर में बढ़ रहा खतरा.

यूरोप में लॉकडाउन?: क्रिसमस और नए साल की छुट्टियों से पहले और अधिक COVID-19 प्रतिबंध लगाए जाने की संभावना कई यूरोपीय देशों में बढ़ गई है. नीदरलैंड पहले ही तालाबंदी की घोषणा कर चुका है. ये संकेत भी बाजार के लिए बुरी स्थिति पैदा कर रहे हैं.

वैश्विक बाजार : चीनी ब्लू चिप्स 0.4 फीसदी गिरा, जबकि MSCI का जापान के बाहर एशिया-प्रशांत शेयरों का सूचकांक 0.8 फीसदी गिर गया. जापान का निक्केई 1.7 फीसदी और दक्षिण कोरियाई शेयरों में 1.2 फीसदी की गिरावट आई. S&P 500 फ्यूचर्स में 0.8 फीसदी औरफ्यूचर्स में लगभग 1 फीसदी की गिरावट आई. EUROSTOXX 50 फ्यूचर्स में 1.1 फीसदी और FTSE फ्यूचर्स में 1.0 फीसदी की गिरावट आई.