अख़बार के मुताबिक़ गुजरात के दाहोद स्मार्ट सिटी एडमिनिस्ट्रेशन ने ये कार्रवाई की है. भारी पुलिस बल की तैनाती के बीच नगीना मस्जिद को सुबह साढ़े चार बजे के आसपास ढहाना शुरू किया गया.

इस मस्जिद को स्मार्ट सिटी के लिए सड़क चौड़ीकरण परियोजना के तहत गिराया गया है. अधिकारियों के हवाले से अख़बार ने लिखा है कि मस्जिद का ट्रस्ट शुक्रवार को गुजरात हाई कोर्ट में ज़मीन से संबंधित दस्तावेज़ पेश नहीं कर सका था, जिसके बाद ये एक्शन लिया गया.

मस्जिद को ढहाने के कुछ घंटों के बाद चार मंदिर और तीन अन्य दरगाह भी ढहा दिए गए.

दो स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था के तहत करीब 450 पुलिसकर्मियों को सुबह साढ़े चार बजे की कार्रवाई के लिए तैनात किया गया था. अधिकारियों ने अख़बार को बताया, “मस्जिद को ढहाने की प्रक्रिया शांतिपूर्ण ढंग से पूरी हुई.”

उन्होंने कहा, “शुक्रवार शाम, मस्जिद के सदस्यों की सब डिविज़नल-मजिस्ट्रेट (एसडीएम), नगर निगम के चीफ़ ऑफ़िसर और प्रांत अधिकारी के साथ बैठक हुई. इस बैठक में ट्रस्ट के सदस्य इस शर्त पर मस्जिद परिसर खाली करने को राज़ी हुए कि इसे ढहाने का काम भी उन्हें ही करने दिया जाए.”

“हमें परिसर के अंदर जाने की ज़रूरत नहीं पड़ी क्योंकि उन्होंने पहले ही इसे खाली कर दिया था. पुलिस की तैनाती अभी रहेगी लेकिन हमें नहीं लगता कोई दिक्कत होगी.”

गुजरात हाई कोर्ट के सामने अपनी याचिका में, ट्रस्ट ने कहा था कि कथित अतिक्रमण को लेकर आसपास की दुकानों को गुजरात नगर पालिका अधिनियम के तहत नोटिस जारी किए गए थे और इन्हें 15 मई को ध्वस्त कर दिया गया था.

याचिका में कहा गया है कि प्रशासन उन अन्य दुकानों को भी ‘बिना किसी नोटिस’ गिरा रही है जिस पर याचिका दायर करने वाले ट्रस्ट का मालिकाना हक है.

मस्जिद कमेटी के एक सदस्य ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “हमें प्रशासन ने सोमवार को इस बारे में सूचना दी थी कि शुक्रवार तक दस्तावेज़ पेश करने होंगे, नहीं तो जुमे की नमाज़ के बाद मस्जिद को ढहा दिया जाएगा.”

“हाई कोर्ट ने भी हमें राहत नहीं दी. इसलिए शुक्रवार दोपहर को हमें अपना सामान यहाँ से ले जाने के लिए कहा गया. जब प्रशासन ने इसी सप्ताह छह फीट के परिसर को ढहाया था तभी हमने अपना ज़रूरी सामान हटा लिया था.”

मस्जिद ट्रस्ट के हवाले से ख़बर में बताया गया है कि ये मस्जिद 1926 से यहाँ मौजूद है.